उत्तराखंड उच्च न्यायालय का राज्य सरकार को पुनर्वास समिति में डीएलएसए सदस्यों को शामिल करने का निर्देश

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह एक दूरदराज के गांव के निवासियों के पुनर्वास के लिए बनाई गई समिति में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्यों को शामिल करे। यह निर्णय उन ग्रामीणों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जो बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे हैं। उच्च न्यायालय ने पहले भी इस मुद्दे पर सरकार से जानकारी मांगी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
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उत्तराखंड उच्च न्यायालय का राज्य सरकार को पुनर्वास समिति में डीएलएसए सदस्यों को शामिल करने का निर्देश

उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्देश

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह एक दूरदराज के गांव के निवासियों के पुनर्वास के लिए बनाई गई समिति में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के सदस्यों को शामिल करे।


इस गांव के निवासियों ने बिजली और पानी जैसी आवश्यक सेवाओं की कमी के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है।


बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि प्राधिकरण के सदस्यों को शामिल करने से यह सुनिश्चित होगा कि वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को वन अधिकार अधिनियम के तहत भूमि के पट्टे मिल सकें और उन्हें आवश्यक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।


समिति का गठन और पिछली सिफारिशें

यह समिति उन लोगों के दावों और अधिकारों की सुनवाई के लिए बनाई गई थी जो वन क्षेत्रों में निवास करते हैं। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने 2014 में क्षेत्र में निवासियों के पुनर्वास के लिए गठित समिति की सिफारिशों पर राज्य सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी थी।


ग्रामीणों की समस्याएं

‘इंडिपेंडेंट मीडिया सोसाइटी’ ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि नैनीताल जिले के सुंदरखाल में 1975 से निवास कर रहे ग्रामीणों को बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।


इस कारण सुंदरखाल के निवासी कई वर्षों से पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।


सरकार की कार्रवाई

सरकार ने 2014 में एक समिति का गठन कर इन लोगों के पुनर्वास का निर्णय लिया था। इसके बावजूद, अब तक न तो ग्रामीणों का पुनर्वास किया गया है और न ही उन्हें आवश्यक बुनियादी सुविधाएं प्रदान की गई हैं।


याचिका में यह भी बताया गया है कि ये लोग जिस क्षेत्र में रहते हैं, वह अत्यंत दुर्गम है।