उत्तर प्रदेश सरकार को अखलाक लिंचिंग मामले में बड़ा कानूनी झटका
अखलाक लिंचिंग केस में अदालत का फैसला
ग्रेटर नोएडा में हुए अखलाक लिंचिंग मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को एक महत्वपूर्ण कानूनी झटका लगा है। सूरजपुर की जिला अदालत ने लिंचिंग के आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की योगी सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यह मामला समाप्त नहीं होगा और आरोपियों के खिलाफ ट्रायल जारी रहेगा। यूपी सरकार द्वारा दाखिल की गई केस वापसी की अर्जी पर सुनवाई के दौरान अदालत ने तीखी टिप्पणी की, जिसमें अभियोजन पक्ष की दलीलों को आधारहीन और महत्वहीन बताया गया। अदालत ने कहा कि केस वापस लेने के लिए कोई ठोस कानूनी आधार प्रस्तुत नहीं किया गया।
10 साल पुरानी घटना
सितंबर 2015 में ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा में एक भीड़ ने अखलाक की हत्या कर दी थी, यह मानते हुए कि उसके घर में गोमांस है। इस मॉब लिंचिंग की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस मामले में 18 अभियुक्तों पर केस चल रहा है, और सभी फिलहाल जमानत पर हैं। इस साल अक्टूबर में अचानक यूपी सरकार ने केस वापस लेने का निर्णय लिया।
सरकार का तर्क
यूपी सरकार ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें सभी आरोपियों के खिलाफ मामला वापस लेने और संयुक्त निदेशक की अनुमति मांगने का हवाला दिया गया था। अदालत के इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि अखलाक हत्याकांड में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा आगे बढ़ेगा और नियमित सुनवाई होगी।
मॉब लिंचिंग में बेटा भी हुआ जख्मी
28 सितंबर 2015 की रात, प्रतिबंधित मांस को लेकर फैली अफवाह के कारण भीड़ ने अखलाक की हत्या कर दी थी। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया था। अखलाक के बेटे दानिश को भी गंभीर चोटें आई थीं। पुलिस ने जांच के बाद कुल 19 लोगों को आरोपी बनाया था, जिन पर हत्या, दंगा भड़काने और जान से मारने की धमकी देने जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया।
अखलाक के अधिवक्ता का बयान
अखलाक के अधिवक्ता यूसुफ सैफी ने बताया कि अदालत ने अभियोजन पक्ष की याचिका को निरस्त कर दिया है। अभियोजन को गवाहों के बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है। अदालत ने पुलिस आयुक्त और डीसीपी को निर्देश दिया है कि यदि आवश्यक हो तो गवाहों को सुरक्षा प्रदान की जाए। इससे पहले इस केस में 12 और 18 दिसंबर को भी सुनवाई हो चुकी थी, लेकिन अभियोजन पक्ष के समय मांगने के कारण फैसला नहीं हो पाया था। सुनवाई के दौरान सीपीएम नेता वृंदा करात भी कोर्ट में उपस्थित थीं और उन्होंने इसे न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
