उत्तर प्रदेश में मृतक आश्रितों की भर्ती नियमों में बदलाव

उत्तर प्रदेश सरकार का नया नियम
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के मृतक आश्रितों की भर्ती प्रक्रिया में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। अब मृतक आश्रितों को उसी श्रेणी में नौकरी मिलेगी, जिसमें उनके पूर्वज काम कर रहे थे। इसका मतलब है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान निधन हो जाता है, तो उसके परिवार के सदस्य को उसी समूह में नौकरी दी जाएगी, न कि किसी उच्च पद पर। यह नया नियम कार्मिक विभाग द्वारा मंगलवार को जारी किया गया है। आइए, इस बदलाव के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पहले की व्यवस्था
पहले के नियमों के अनुसार, यदि मृतक आश्रित की शैक्षिक योग्यता किसी उच्च पद के लिए उपयुक्त होती थी, तो उसे उच्च पद पर नियुक्त किया जा सकता था। उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी निचले समूह में कार्यरत था, लेकिन उसके आश्रित की योग्यता अधिक थी, तो उसे उच्च समूह में नियुक्ति मिल जाती थी। लेकिन अब इस व्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया गया है।
नए नियमों की विशेषताएँ
कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज द्वारा जारी संशोधित नियमों में स्पष्ट किया गया है कि अब मृतक आश्रितों को केवल उसी समूह में नौकरी मिलेगी, जिसमें मृत कर्मचारी कार्यरत था। हालांकि, कुछ अपवाद भी हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के अंतर्गत आने वाले पदों पर मृतक आश्रितों को नियुक्ति नहीं दी जाएगी। इसका मतलब है कि अब केवल समूह 'ग' और 'घ' के पदों पर ही आश्रितों को नौकरी मिल सकेगी।
नियुक्ति पर प्रतिबंध
नए नियमों के अनुसार, समूह 'ग' के उन पदों पर भी मृतक आश्रितों को नियुक्ति नहीं मिलेगी, जो पहले UPPSC के अंतर्गत थे और अब उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) के अंतर्गत आते हैं। इसका अर्थ है कि अब मृतक आश्रितों के लिए नौकरी के विकल्प पहले की तुलना में सीमित हो गए हैं।
परिवर्तन का प्रभाव
इस बदलाव से मृतक आश्रितों को नौकरी पाने की प्रक्रिया में पहले जैसी लचीलापन नहीं रहेगी। पहले जहां उनकी योग्यता के आधार पर उच्च पद मिलने की संभावना थी, अब उन्हें केवल उसी समूह में नौकरी मिलेगी, जिसमें उनके परिजन कार्यरत थे। सरकार का यह कदम नियमों को अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में देखा जा रहा है, लेकिन कई लोग इसे मृतक आश्रितों के लिए अवसरों को सीमित करने वाला मानते हैं।