उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी, जातीय समीकरण पर जोर

उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार मंत्रिमंडल विस्तार की योजना बना रही है, जिसमें जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन पर ध्यान दिया जाएगा। नए चेहरों को शामिल करने और पिछड़ी जातियों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की चर्चा हो रही है। भूपेंद्र चौधरी को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। जानें विस्तार की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव।
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लखनऊ में राजनीतिक हलचल

लखनऊ


भाजपा ने प्रदेश संगठन में पिछड़ी जातियों के नए 'चौधरी' को जिम्मेदारी देकर विपक्ष के पीडीए समीकरण को चुनौती देने की दिशा में कदम बढ़ाया है। अब इसी तर्ज पर प्रदेश सरकार में भी बदलाव की योजना बनाई जा रही है। हालांकि, मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख और स्वरूप पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है। सूत्रों के अनुसार, लखनऊ से लेकर दिल्ली तक मंत्रिमंडल विस्तार के लिए पीडीए समीकरण को मजबूत करने की रणनीति पर विचार चल रहा है।


मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा पिछले साल अक्टूबर में पार्टी के संगठन पर्व के आरंभ के साथ शुरू हुई थी, लेकिन अब तक इसकी तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पाई है। संगठन पर्व समाप्त हो चुका है और पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल चुका है, जिससे योगी-2 की टीम में बदलाव की चर्चा फिर से तेज हो गई है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में संभावित मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।


सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2027 के चुनाव में विपक्ष के पीडीए को चुनौती देने के लिए यह कवायद की जा रही है। माना जा रहा है कि मौजूदा मंत्रिमंडल में कुर्मी और अन्य पिछड़ी जातियों के मंत्रियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही कुछ मंत्रियों की जगह युवा और ऊर्जावान विधायकों को मौका दिया जा सकता है। खासकर कुर्मी समाज के नेताओं को प्रमोट करने की योजना है, जो पार्टी से दूर हो रहे हैं। पूरी तस्वीर मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ही स्पष्ट होगी, लेकिन यह निश्चित है कि आगामी विस्तार में जातीय संतुलन बनाने की कोशिश की जाएगी।


प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त होने के बाद भूपेंद्र चौधरी का सरकार में समायोजन तय माना जा रहा है। उन्हें सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके अलावा, लगभग आधे दर्जन नए चेहरों को भी मौका मिल सकता है। मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा के आधार पर कई को संगठन में भी भेजा जा सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के साथ ही दावेदार विधायकों ने दिल्ली की दौड़ लगानी शुरू कर दी है।


क्षेत्रीय संतुलन पर ध्यान
सूत्रों का कहना है कि संभावित विस्तार में पीडीए पर ध्यान देने के साथ-साथ क्षेत्रीय संतुलन बनाने पर भी जोर दिया जाएगा। इस संदर्भ में पश्चिम, बुंदेलखंड और मध्य यूपी को विशेष महत्व दिया जा सकता है।