उत्तर प्रदेश में बीजेपी के ब्राह्मण विधायकों की नाराजगी पर सियासी हलचल
बीजेपी के ब्राह्मण विधायकों में असंतोष
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के ब्राह्मण विधायकों के बीच सियासी तनाव बढ़ता जा रहा है।
योगी सरकार के तहत बीजेपी के ब्राह्मण विधायक असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव सक्रिय हो गए हैं। इस बीच, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने नाराज विधायकों को सहभोज के दौरान चेतावनी दी है, जिस पर सपा ने कटाक्ष किया है।
लखनऊ में ब्राह्मण विधायकों की गोलबंदी के दौरान पंकज चौधरी का कड़ा रुख सामने आया है, जिसके बाद बैठक में शामिल विधायक अब चुप्पी साधे हुए हैं। विपक्ष ने इस घटनाक्रम को बीजेपी में जातिवाद और आंतरिक संघर्ष का संकेत बताया है। यहां तक कि बीजेपी के ब्राह्मण विधायक और सांसद भी जातिवाद से दूरी बनाते हुए बयान दे रहे हैं।
शिवपाल का नया ऑफर
सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि बीजेपी की आंतरिक लड़ाई अब स्पष्ट हो गई है। सहभोज के दौरान प्रदेश अध्यक्ष ने विधायकों को डराने का प्रयास किया है। उन्होंने पहले भी ब्राह्मण विधायकों को सपा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था और अब एक बार फिर यह ऑफर दे रहे हैं। वहीं, बैठक में शामिल होने के बाद ब्राह्मण विधायक अब चुप्पी साधे हुए हैं।
बीजेपी का जातिवाद से इनकार
प्रदेश अध्यक्ष ने विधायकों को नकारात्मक राजनीति से बचने की सलाह दी है। उन्होंने बैठक को पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है और कहा है कि बीजेपी किसी विशेष जाति की राजनीति में विश्वास नहीं रखती। इसी क्रम में, बीजेपी के राज्यसभा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी कहा कि उनकी पार्टी में सभी जातियों का सम्मान है। देवरिया के ब्राह्मण विधायक दीपक मिश्रा ने कहा कि उन्होंने बैठक में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया क्योंकि राजनीति में जाति का कोई स्थान नहीं है।
ब्राह्मणों पर बढ़ता अत्याचार
इस मुद्दे पर सपा सांसद सनातन पांडेय ने कहा कि बीजेपी में अब लोकतंत्र का अभाव है। प्रदेश अध्यक्ष का बयान डराने वाला है और ब्राह्मणों के साथ अत्याचार बढ़ रहा है। सपा प्रवक्ता मनीष सिंह ने कहा कि जब कुटुम्ब बैठक हुई थी, तब कोई समस्या नहीं थी, लेकिन सहभोज के दौरान दिक्कतें आ गईं। बीजेपी में लोकतंत्र का अभाव है।
कांग्रेस का भी बीजेपी पर हमला
बाराबंकी से कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने कहा कि इस मामले ने दिल्ली और लखनऊ के बीच की खींचतान को फिर से उजागर कर दिया है। यदि ब्राह्मण विधायकों ने बैठक की, तो इससे कोई समस्या नहीं होनी चाहिए थी, लेकिन प्रदेश सरकार में केवल एक जाति विशेष की ही चलती है, जिससे अन्य जातियाँ उपेक्षित महसूस कर रही हैं। यह इस प्रकरण से स्पष्ट हो गया है।
