उत्तर प्रदेश में अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए अभियान तेज

उत्तर प्रदेश में अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने एक व्यापक अभियान शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक संतुलन को बनाए रखना है। सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए दस्तावेजों की गहन जांच करें। इस प्रक्रिया में निर्दोष व्यक्तियों को किसी भी परेशानी से बचाने का ध्यान रखा जाएगा। जानें इस अभियान के पीछे की वजह और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए अभियान

उत्तर प्रदेश में अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए अभियान तेज


देश की आंतरिक सुरक्षा, सामाजिक समरसता और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए केंद्र और राज्य सरकारें अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए एक व्यापक अभियान चला रही हैं। उत्तर प्रदेश, जो कि भारत का सबसे बड़ा और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य है, इस दिशा में विशेष ध्यान दे रहा है।


सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे विदेशी नागरिकों के दस्तावेजों की गहन जांच करें और अवैध रूप से निवास कर रहे व्यक्तियों की पहचान को प्राथमिकता दें।


प्रदेश की भौगोलिक स्थिति, जिसमें आठ राज्य, एक केंद्र शासित प्रदेश और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा शामिल है, इस अभियान को और अधिक महत्वपूर्ण बनाती है। हाल के वर्षों में सीमाई जिलों में अस्थिरता, फर्जी पहचान और घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी हैं, जो सीधे तौर पर यूपी पर प्रभाव डालती हैं।


फर्जी पहचान के माध्यम से विभिन्न शहरों में निवास कर रहे अवैध प्रवासी न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती हैं, बल्कि सामाजिक संतुलन और संसाधनों पर भी गंभीर दबाव डालते हैं। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, उत्तर प्रदेश पुलिस और जिला प्रशासन ने सत्यापन और पहचान की प्रक्रिया को तेज करने का निर्णय लिया है। इसमें निर्दोष व्यक्तियों को किसी भी प्रकार की अनावश्यक परेशानी से बचाने का विशेष ध्यान रखा जाएगा।


संदिग्ध गतिविधियों में शामिल या फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।


राज्य के सभी जिलों में अस्थायी डिटेंशन सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे, जहां ऐसे व्यक्तियों को दस्तावेजों के सत्यापन पूरा होने तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। यह व्यवस्था प्रशासन को सही तथ्यों की जांच में मदद करेगी और स्थानीय जनसुविधाओं पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।


केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 2016 में संसद में बताया था कि भारत में लगभग 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी प्रवासी निवास कर रहे हैं। इसके अलावा, अगस्त 2017 में उन्होंने संसद में यह भी कहा था कि भारत में अवैध रोहिंग्या प्रवासियों की संख्या 40,000 से अधिक है।