उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण नेटवर्क का भंडाफोड़, एटीएस ने छह आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की

एटीएस की बड़ी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल करते हुए जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन सहित छह आरोपियों के खिलाफ लखनऊ से मुंबई तक फैले एक अवैध धर्मांतरण नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। जांच में यह सामने आया है कि इस रैकेट में विदेशी फंडिंग, करोड़ों की संपत्तियों का लेन-देन और हिंदू तथा सिख महिलाओं को धोखे, धमकी और डराने-धमकाने के जरिए धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने की एक सुनियोजित योजना शामिल थी। हैरान करने वाली बात यह है कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत का एक कर्मचारी भी इस गिरोह में शामिल है।
विदेशी फंडिंग और संपत्तियों का खुलासा
एटीएस की जांच में यह पता चला है कि दुबई स्थित कंपनियों से करोड़ों रुपये भारतीय बैंकों में भेजे गए। यह धन नीतू नसरीन और उनके पति नवीन रोहरा तक पहुंचा, जिन्होंने इस पैसे का उपयोग बलरामपुर और आस-पास के क्षेत्रों में करोड़ों रुपये की संपत्तियां खरीदने में किया। बताया जा रहा है कि अदालत के कर्मचारी राजेश उपाध्याय ने इन लेन-देन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश
जांचकर्ताओं का कहना है कि छांगुर बाबा का गिरोह केवल धर्मांतरण नहीं कर रहा था, बल्कि एक बड़े उद्देश्य की ओर बढ़ रहा था: भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को कमजोर करना और शरिया कानून को लागू करना। इस समूह ने चरमपंथी विचारधारा फैलाने और देश में अस्थिरता लाने के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की योजना भी बनाई थी।
ईडी की जांच से विदेशी संबंधों का खुलासा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस मामले की जांच में शामिल हो गया है और उसे इस रैकेट से जुड़े करोड़ों रुपये के विदेशी धन के ठोस सबूत मिले हैं। अब तक, लग्जरी कारों और बहुमूल्य संपत्तियों सहित ₹13 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।