उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी, नए चेहरे की तलाश
भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई में नए अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी आई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हालिया मुलाकात ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। नए अध्यक्ष के लिए ओबीसी या दलित समुदाय के नेताओं के नाम चर्चा में हैं। जानें कौन हो सकता है नया चेहरा और पार्टी की रणनीतियाँ क्या हैं।
Jun 17, 2025, 19:54 IST
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भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई में नए अध्यक्ष की नियुक्ति
भाजपा की उत्तर प्रदेश शाखा के नए अध्यक्ष की घोषणा का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है। इस प्रक्रिया की शुरुआत पिछले साल अक्टूबर में हुई थी, और सभी संकेतों के अनुसार, इसे जनवरी तक पूरा करने की योजना थी। लेकिन विभिन्न राजनीतिक दबावों के कारण बार-बार स्थगन होता रहा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हालिया लखनऊ दौरा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनकी मुलाकात ने अब नए अध्यक्ष की नियुक्ति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
सूत्रों के अनुसार, शाह लखनऊ में नए पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र देने के लिए आए थे, लेकिन इस दौरान अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर भी चर्चा की गई। जब आदित्यनाथ ने पिछले हफ्ते शाह से मुलाकात की, तो इस मामले को अंतिम रूप देने का कार्य किया गया। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि 2027 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा।
शाह की एक टिप्पणी जिसमें उन्होंने डिप्टी सीएम केशव मौर्य को "मेरा दोस्त" कहा, ने फिर से अटकलें शुरू कर दी हैं कि मौर्य को नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। मौर्य, जो ओबीसी समुदाय के प्रमुख चेहरे हैं, पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। उन्होंने 2017 में भाजपा की जीत के समय राज्य अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था और तब से लगातार डिप्टी सीएम के रूप में कार्यरत हैं। पार्टी नए अध्यक्ष के लिए ओबीसी या दलित समुदाय के नेता को चुनने की संभावना पर विचार कर रही है, क्योंकि ये दोनों समुदाय 2024 के चुनावों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ तालमेल बनाते नजर आ रहे हैं।
पिछले साल के चुनावों में भाजपा की सीटों में कमी आई थी, जबकि सपा और कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी की बढ़ती गतिविधियों और केंद्र सरकार द्वारा जाति जनगणना की घोषणा के चलते ओबीसी को प्राथमिकता दी जा सकती है। केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और पंकज चौधरी जैसे ओबीसी नेता चर्चा में हैं, जबकि दलित नेताओं में बेबी रानी मौर्य, असीम अरुण और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम शंकर कठेरिया प्रमुखता से सामने आ रहे हैं।