उड़ान: एक अनूठी फिल्म जो मध्यवर्गीय मूल्यों की जटिलताओं को उजागर करती है

उड़ान का प्रभाव और कहानी
16 जुलाई को 20 साल पूरे करने वाली फिल्म उड़ान ने विक्रमादित्य मोटवानी के साहसी निर्देशन से शुरुआत की, जिन्होंने पहले संजय लीला भंसाली और फिर अनुराग कश्यप के साथ काम किया। इस फिल्म में 17 वर्षीय रोहन (राजत बर्मेचा) और उसके तानाशाह पिता (रोनित रॉय) के बीच की तनावपूर्ण और हिंसक रिश्ते को दर्शाया गया है।
जब उड़ान एक सामान्य आने वाली उम्र की फिल्म बनने की कोशिश नहीं कर रही होती, तब यह हमें मध्यवर्गीय जीवन की गहराइयों में ले जाती है। फिल्म की शुरुआत एक मजेदार लड़कों की रात की घटनाओं से होती है, लेकिन जल्दी ही यह गंभीर मुद्दों की ओर बढ़ती है, जैसे कि रोहन का अपने पिता से आठ साल से न मिलना।
हालांकि रोनित रॉय ने अपने किरदार को ऊर्जा के साथ निभाया है, लेकिन पिता की तानाशाही उसे एक साधारण खराब माता-पिता के रूप में प्रस्तुत करती है। रोहन की आत्म-खोज की कहानी में उसकी आंतरिक संघर्ष और राजत बर्मेचा की अदाकारी की गहराई दिखाई देती है।
फिल्म की चुनौतियाँ और रोनित रॉय का अनुभव
फिल्म की शूटिंग के दौरान रोनित रॉय को कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया, "शूटिंग के पहले दिन ही मैंने अपनी जांघ की मांसपेशी को गंभीरता से चोटिल कर लिया था।" इसके बावजूद, उन्होंने दृश्यों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की।
रोनित ने कहा, "मैं असल जिंदगी में एक दयालु पिता हूं, इसलिए अपने स्क्रीन बेटे पर शारीरिक और मानसिक रूप से हमला करना मेरे लिए आसान नहीं था।" उड़ान ने उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया और उन्हें बड़े पर्दे पर पहचान दिलाई।
उड़ान का महत्व और भविष्य की उम्मीदें
रोनित ने कहा कि उड़ान ने उन्हें कई नए अवसर दिए और यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण फिल्म थी। उन्होंने कहा, "मैं अब अपने अगले उड़ान का इंतजार कर रहा हूं।"
फिल्म ने न केवल रोनित की पहचान बनाई, बल्कि यह दर्शकों को भी सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे पारिवारिक संबंधों में हिंसा और उसके प्रभावों को समझा जा सकता है।