उच्चतम न्यायालय ने दिव्यांगों का उपहास उड़ाने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को दी चेतावनी

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को माफी का आदेश
सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ के प्रस्तुतकर्ता समय रैना सहित पांच सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को निर्देश दिया कि वे दिव्यांग और दुर्लभ आनुवंशिक विकारों से ग्रसित व्यक्तियों का मजाक उड़ाने के लिए अपने पॉडकास्ट या कार्यक्रम में बिना शर्त माफी मांगें।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह दिव्यांगों, महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों का अपमान करने वाले भाषणों पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करे।
पीठ ने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग अन्य समुदायों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले व्यावसायिक भाषणों पर नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने यह भी कहा कि वह बाद में रैना और अन्य सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर दिव्यांग व्यक्तियों का अपमान करने के लिए जुर्माना लगाने पर विचार करेगा।
इन पांचों पर दिव्यांगों और ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी’ (एसएमए) तथा दृष्टिहीन व्यक्तियों का मजाक उड़ाने का आरोप है। सोनाली ठक्कर उर्फ सोनाली आदित्य देसाई को छोड़कर अन्य सभी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स अदालत में उपस्थित हुए। ठक्कर को इस शर्त पर उपस्थित होने से छूट दी गई कि उनके कार्यक्रम में बिना शर्त माफी प्रसारित की जाएगी।
पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से कहा कि सोशल मीडिया के लिए दिशानिर्देश किसी एक घटना पर आधारित नहीं होने चाहिए, बल्कि सभी हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखते हुए व्यापक मानदंडों पर आधारित होने चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने रैना को उनके हलफनामे में माफी मांगने के लिए भी फटकार लगाई और कहा कि उन्होंने शुरुआत में खुद का बचाव करने और निर्दोष दिखने की कोशिश की थी।
15 जुलाई को, उच्चतम न्यायालय ने रैना समेत पांच सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को दिव्यांग व्यक्तियों का उपहास उड़ाने के मामले में अदालत में पेश होने का आदेश दिया था।