उच्चतम न्यायालय ने डिजिटल अरेस्ट पीड़ितों के लिए मुआवजे पर विचार करने का निर्देश दिया

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को 'डिजिटल अरेस्ट' के पीड़ितों के लिए मुआवजे की योजना पर विचार करने का निर्देश दिया है। इस प्रकार के साइबर अपराध में धोखेबाज कानून प्रवर्तन अधिकारियों के रूप में पेश होकर पीड़ितों से पैसे ठगते हैं। प्रधान न्यायाधीश ने साइबर अपराधियों द्वारा देश से निकाली गई बड़ी धनराशि पर चिंता व्यक्त की और सुझाव दिया कि ब्रिटेन के मॉडल के आधार पर पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना शुरू की जाए।
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उच्चतम न्यायालय ने डिजिटल अरेस्ट पीड़ितों के लिए मुआवजे पर विचार करने का निर्देश दिया

डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते खतरे पर चिंता

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 'डिजिटल अरेस्ट' के शिकार लोगों को मुआवजा देने के लिए न्याय मित्र द्वारा प्रस्तुत सुझावों पर विचार करे। साथ ही, न्यायालय ने साइबर अपराधियों द्वारा देश से निकाली गई बड़ी रकम को लेकर चिंता व्यक्त की।


डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का साइबर अपराध है, जिसमें धोखेबाज खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारियों, न्यायालय के कर्मचारियों या सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधियों के रूप में प्रस्तुत करते हैं। ये अपराधी ऑडियो और वीडियो कॉल के माध्यम से पीड़ितों को डराते हैं और उनसे पैसे ठगते हैं।


प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट से संबंधित विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए जल्द ही एक अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उठाए गए मुद्दे और न्याय मित्र एन एस नप्पिनै के सुझाव भी शामिल होंगे।


प्रधान न्यायाधीश कांत ने कहा, 'इन जालसाजों द्वारा देश से निकाली गई भारी धनराशि देखकर हम स्तब्ध हैं।' न्याय मित्र ने ब्रिटेन के मॉडल के आधार पर पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना शुरू करने का सुझाव दिया।