उच्चतम न्यायालय ने किरायेदार-मालिक विवादों में देरी पर जताई चिंता

संपत्ति विवादों में निर्णय में देरी
उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान संपत्ति मालिकों और किरायेदारों के बीच विवादों के निपटारे में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की है। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वे वहां लंबित मामलों की समीक्षा करें।
इस मामले में उच्चतम न्यायालय प्रति वर्ग फुट दर से संबंधित विवाद पर सुनवाई कर रहा है, जो हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड द्वारा मुंबई के हरचंद्राय हाउस को किराए पर लेने से जुड़ा है।
पीठ ने कहा कि कई मामलों में वादियों को अपने विवादों के समाधान के लिए वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि मकान मालिक और किरायेदार के विवाद में एक पक्ष के संपत्ति के लाभ से वंचित होने और दूसरे पक्ष के मौद्रिक लाभ से वंचित होने का पहलू शामिल होता है। अदालतों का कर्तव्य है कि वे यह सुनिश्चित करें कि किसी भी पक्ष को परेशानी न हो।
अदालत ने यह भी कहा कि विवादों में निर्णय में देरी का मतलब है कि दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ता है। पीठ ने कहा, "कई मामलों में मकान मालिक को संपत्ति नहीं मिलने के कारण नुकसान होता है, जबकि अन्य मामलों में किरायेदार को अंतिम निर्णय आने पर बड़ी रकम चुकाने का निर्देश दिया जाता है।"
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि किरायेदारों के लिए इतनी बड़ी रकम का भुगतान करना एक कठिन कार्य है। पीठ ने छह मई को कहा, "हम बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि वे मकान मालिक-किरायेदार विवादों के लंबित रहने की अवधि के बारे में संबंधित अदालतों से रिपोर्ट मांगें।" अदालत ने यह भी कहा कि यदि ऐसे कई अन्य मामले हैं, तो उच्च न्यायालय को उनके शीघ्र निपटारे के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।