उच्चतम न्यायालय ने उज्जैन में मस्जिद गिराने के खिलाफ याचिका खारिज की

उच्चतम न्यायालय ने उज्जैन में एक 200 साल पुरानी मस्जिद के ध्वस्तीकरण के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। यह मस्जिद भूमि अधिग्रहण के बाद गिराई गई थी, जिसका उद्देश्य महाकाल लोक परिसर के पार्किंग स्थल का विस्तार करना था। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय में कहा कि उन्हें नमाज अदा करने के लिए मस्जिद की आवश्यकता थी, लेकिन अदालत ने कहा कि अब कुछ नहीं किया जा सकता। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और न्यायालय के निर्णय के पीछे के तर्क।
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उच्चतम न्यायालय ने उज्जैन में मस्जिद गिराने के खिलाफ याचिका खारिज की

उज्जैन में मस्जिद के ध्वस्तीकरण पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय

उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक मस्जिद के ध्वस्त होने के खिलाफ दायर याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया। यह मस्जिद भूमि अधिग्रहण के बाद गिराई गई थी।


ताकिया मस्जिद को जनवरी में उस भूमि के अधिग्रहण के बाद ध्वस्त किया गया था, जिस पर यह स्थित थी। यह मस्जिद लगभग 200 वर्ष पुरानी बताई जाती है।


अधिकारियों ने उज्जैन में महाकाल लोक परिसर के पार्किंग क्षेत्र का विस्तार करने के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की थी। सुनवाई के दौरान, 13 याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि पार्किंग स्थल की आवश्यकता के कारण 200 साल पुरानी मस्जिद को गिराया गया।


इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने की। पीठ ने कहा, 'वैधानिक योजना के तहत मुआवज़ा देना आवश्यक था। आपने उसी अधिग्रहण को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की थी, जिसे वापस लिया गया मान कर खारिज कर दिया गया था।'


वकील ने यह भी बताया कि मस्जिद को 1985 में वक्फ संपत्ति के रूप में मान्यता दी गई थी। उन्होंने तर्क किया, 'आपको किसी अन्य धार्मिक स्थल के लिए पार्किंग की आवश्यकता है और आप मस्जिद को गिरा देते हैं और कहते हैं कि आपको इसका अधिकार नहीं है।'


पीठ ने कहा, 'अब बहुत देर हो चुकी है, कुछ नहीं किया जा सकता। याचिका को खारिज किया जाता है।' पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इस विषय पर विचार किया है।


याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में कहा था कि वे उज्जैन के निवासी हैं और मस्जिद में नमाज अदा करते थे। प्राधिकारियों ने अदालत को बताया कि भूमि का अधिग्रहण कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए किया गया था, मुआवजा दिया गया था और अब सभी संपत्तियां राज्य सरकार के पास हैं।