उच्चतम न्यायालय ने आतंकवादी कृत्य से जुड़े हत्याकांड के दोषी की रिहाई का अनुरोध खारिज किया

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को आतंकवादी कृत्य से जुड़े तिहरे हत्याकांड के दोषी गुलाम मोहम्मद भट की समय पूर्व रिहाई का अनुरोध खारिज कर दिया। न्यायालय ने भट को एक अन्य मामले में सजा में छूट नीति को चुनौती देने की अनुमति दी। भट पर आरोप है कि उसने एक मुखबिर के घर में घुसकर गोलीबारी की, जिसमें तीन लोगों की जान गई। इस मामले में अदालत ने आतंकवादी कृत्य के लक्षणों पर भी चर्चा की।
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उच्चतम न्यायालय ने आतंकवादी कृत्य से जुड़े हत्याकांड के दोषी की रिहाई का अनुरोध खारिज किया

उच्चतम न्यायालय का निर्णय

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तिहरे हत्याकांड के दोषी गुलाम मोहम्मद भट की समय पूर्व रिहाई के लिए दिए गए अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।


हालांकि, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने भट को एक अन्य मामले में आवेदन दायर करने की अनुमति दी, जिसमें उसने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सजा में छूट नीति को चुनौती दी।


पीठ ने भट की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उसने 27 वर्षों की जेल की अवधि के आधार पर शीघ्र रिहाई की मांग की थी। भट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने पेशी दी, जबकि केंद्र शासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने किया।


भट पर आरोप है कि उसने सेना के एक मुखबिर के घर में घुसकर एके-47 राइफल से गोलीबारी की, जिससे तीन लोगों की जान चली गई। अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि घटनास्थल से एक 'अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर' सहित विस्फोटक उपकरण बरामद किए गए थे।


नटराज ने तर्क दिया कि नागरिकों की हत्या करना, जो सेना को जानकारी देने के लिए किया गया, एक आतंकवादी कृत्य है, और इसलिए भट को समय पूर्व रिहाई का लाभ नहीं मिलना चाहिए।


उन्होंने कहा, 'इस कृत्य का उद्देश्य भय पैदा करना और अधिकारियों के साथ सहयोग करने से रोकना था। यह एक साधारण हत्या से कहीं अधिक है।' इस तर्क से सहमति जताते हुए पीठ ने कहा, 'यदि यह कृत्य भय पैदा करने के लिए किया गया था, ताकि कोई भी कानून का पक्ष लेने की हिम्मत न करे, तो यह निश्चित रूप से एक आतंकवादी कृत्य के लक्षण को दर्शाता है।'


शीर्ष अदालत ने आगे कहा, 'हालांकि मुकदमे के दौरान 'टाडा' के प्रावधान लागू नहीं किए गए थे, लेकिन इससे अदालत को सजा में छूट के उद्देश्य के लिए अपराध की वास्तविक प्रकृति का आकलन करने से वंचित नहीं किया जा सकता।'