ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद हिजबुल्लाह ने उठाए हथियार

अमेरिका का ईरान पर हमला
अमेरिका ने यह दावा किया है कि उसने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमले किए हैं। इस हमले के परिणामस्वरूप ईरान को एक बड़ा झटका लगा है, जिससे उसका परमाणु संपन्न बनने का सपना चूर-चूर हो गया है। ईरान ने पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिका इस संघर्ष में शामिल होता है, तो वह क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाएगा। हालांकि, अब ऐसा प्रतीत होता है कि ईरान की स्थिति कमजोर हो रही है।
हिजबुल्लाह की प्रतिक्रिया
लेबनान का हिजबुल्लाह, जिसे ईरान के एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस का सबसे मजबूत समूह माना जाता है, ने भी अमेरिका के हमले के बाद अपनी स्थिति को बदल दिया है। हिजबुल्लाह के एक प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरानी परमाणु सुविधाओं पर हमलों के आदेश के बाद, उनके पास इजराइल और अमेरिका के खिलाफ कोई तत्काल जवाबी कार्रवाई की योजना नहीं है।
युद्धविराम और इजराइल के साथ तनाव
हिजबुल्लाह ने गाजा में इजराइल के हमलों के खिलाफ रॉकेट हमले शुरू किए थे, जिसके परिणामस्वरूप इजराइल ने लेबनान पर भीषण हमले किए। पिछले साल नवंबर में, हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन दोनों पक्ष एक-दूसरे पर युद्धविराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाते रहे हैं।
मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव
अमेरिका के इस हमले ने मध्य पूर्व में युद्ध के फैलने का खतरा बढ़ा दिया है। इजराइल ने ट्रंप के निर्णय की सराहना की है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने तनाव को कम करने की अपील की है। कुछ देशों ने इन हमलों की निंदा की है।