ईरान ने तुर्किए के जंगेजूर कॉरिडोर की योजना को विफल किया

ईरान की कूटनीतिक जीत
जब ईरान इजराइल के साथ संघर्ष में था, तब तुर्किए ने उसके खिलाफ नई रणनीतियाँ अपनाई। लेकिन तेहरान ने समय रहते अपनी स्थिति मजबूत कर ली। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई के सलाहकार अली अकबर वेलायती ने बताया कि ईरान ने अजरबैजान और तुर्किए के बीच प्रस्तावित जंगेजूर कॉरिडोर योजना को सफलतापूर्वक रोक दिया है।
कॉरिडोर का महत्व
यह कॉरिडोर अजरबैजान को अर्मेनिया के स्यूनिक प्रांत के माध्यम से तुर्किए से जोड़ता था, जिससे ईरान की रणनीतिक पहुंच प्रभावित होती। वेलायती ने इसे एक भू-राजनीतिक षड्यंत्र बताया, जो न केवल ईरान को यूरोप से काटने का प्रयास था, बल्कि रूस को भी दक्षिणी मोर्चे से घेरने की पश्चिमी योजना का हिस्सा था।
ईरान की सक्रियता
वेलायती ने कहा कि तेहरान ने इस योजना को समय रहते समझा और सक्रिय कूटनीतिक प्रयासों से इसे विफल कर दिया। उन्होंने अमेरिका का भी उल्लेख किया, यह कहते हुए कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन इस कॉरिडोर की योजना से अवगत थे, हालांकि इसका कोई सार्वजनिक प्रमाण नहीं है।
नागोर्नो-काराबाख युद्ध का प्रभाव
नागोर्नो-काराबाख युद्ध के बाद रूस की मध्यस्थता से हुए समझौते में ट्रांसपोर्ट रूट खोलने का उल्लेख था। अजरबैजान ने इसे जंगेजूर कॉरिडोर के रूप में देखा, जबकि अर्मेनिया का कहना है कि यह केवल पारंपरिक मार्गों की बहाली है।
तुर्किए की उम्मीदें
तुर्की इस कॉरिडोर को लेकर उत्साहित था। राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोआन ने 2023 में अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के साथ बातचीत में कहा था कि यदि अर्मेनिया ने बाधा डाली, तो ईरान के माध्यम से वैकल्पिक मार्ग खोजे जाएंगे।
ईरान की ऊर्जा कूटनीति
हालांकि ईरान ने कॉरिडोर पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन उसने अर्मेनिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है। दोनों देशों के बीच तीसरी हाई-वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण 80% पूरा हो चुका है, जो 2026 तक चालू होने की उम्मीद है। इससे बिजली का व्यापार 350 मेगावॉट से बढ़कर 1200 मेगावॉट हो जाएगा।