ईरान-ऑस्ट्रेलिया के बीच राजनयिक संबंधों में तनाव: राजदूत निष्कासित

ईरान-ऑस्ट्रेलिया के राजनयिक संबंधों में बदलाव
हाल ही में, ईरान को एक बड़ा झटका लगा है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने अपने राजनयिक संबंधों को समाप्त कर दिया है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री अल्बानीज ने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। ईरान का राजदूत अब ऑस्ट्रेलिया में नहीं रहेगा।
ऑस्ट्रेलिया का दूतावास तेहरान में स्थित है, जबकि ईरान का दूतावास कैनबरा में है।
ईरान-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में तनाव के कारण
हाल के दिनों में इजरायल के साथ संघर्ष के कारण अमेरिका और ईरान के बीच तनाव ने ऑस्ट्रेलिया और ईरान के संबंधों को प्रभावित किया है। ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर ऑस्ट्रेलिया की आलोचना भी तनाव का एक कारण है।
ऑस्ट्रेलिया ने ईरान के खिलाफ कुछ प्रतिबंध भी लगाए हैं, जो अब और कड़े हो सकते हैं।
इतिहास में उतार-चढ़ाव
ईरान और ऑस्ट्रेलिया के बीच राजनयिक संबंध 1968 में स्थापित हुए थे। प्रारंभ में, ये संबंध व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक सीमित थे। लेकिन 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद, दोनों देशों के संबंधों में उतार-चढ़ाव आया।
ऑस्ट्रेलिया ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का समर्थन किया है।
मानवाधिकारों का उल्लंघन
ऑस्ट्रेलिया ने ईरान पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है, जिसमें महिलाओं और अल्पसंख्यकों का दमन शामिल है। 2022 में महसा अमिनी की मौत के बाद ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।
इन प्रदर्शनों के बाद, ऑस्ट्रेलिया ने ईरान के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और बिगड़ गए।
ऑस्ट्रेलिया और इजरायल के संबंध
ऑस्ट्रेलिया और इजरायल के बीच मजबूत संबंध हैं, जिसमें रक्षा सहयोग भी शामिल है। 2025 में इजरायल के साथ युद्ध के दौरान, ऑस्ट्रेलिया ने इजरायल का समर्थन किया और ईरान से अपने नागरिकों को निष्कासित किया।
ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री ने ईरान को संवाद और कूटनीति अपनाने की सलाह दी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया का इजरायल के प्रति समर्थन ईरान को पसंद नहीं आया।
पश्चिमी सहयोगी और QUAD संगठन
ऑस्ट्रेलिया पश्चिमी देशों का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है और AUKUS तथा QUAD जैसे संगठनों का हिस्सा है। ये संगठन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन और ईरान के प्रभाव को संतुलित करने के लिए बनाए गए हैं।
ईरान इन दोनों संगठनों का विरोध करता है।