ईडी ने 650 करोड़ के फर्जी जीएसटी घोटाले में कई राज्यों में छापेमारी की

प्रवर्तन निदेशालय ने 650 करोड़ रुपये के फर्जी जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कई राज्यों में छापेमारी की। यह कार्रवाई उन व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ की गई है जिन्होंने फर्जी कंपनियां स्थापित कीं। घोटाले का खुलासा दरभंगा के चार्टर्ड अकाउंटेंट भाइयों के कारण हुआ, जिन्होंने सीमा हैदर और सचिन के नामों का दुरुपयोग किया। जानें इस मामले की पूरी कहानी और ईडी की कार्रवाई के बारे में।
 | 
ईडी ने 650 करोड़ के फर्जी जीएसटी घोटाले में कई राज्यों में छापेमारी की

ईडी की कार्रवाई का विवरण

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 650 करोड़ रुपये के फर्जी जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में एक साथ कई स्थानों पर छापे मारे। यह कार्रवाई गुवाहाटी स्थित ईडी कार्यालय द्वारा की गई। ईडी के अनुसार, यह कार्रवाई उन व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ की जा रही है, जिन्होंने बिना वास्तविक व्यापार के फर्जी कंपनियां स्थापित कीं और झूठे दस्तावेजों के माध्यम से टैक्स रिफंड प्राप्त किया। इस मामले में सीमा हैदर और सचिन के नामों का भी दुरुपयोग किया गया है।


घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?

फर्जीवाड़ा करने वालों ने पाकिस्तान की सीमा हैदर और उसके पति सचिन के नाम और पहचान का गलत इस्तेमाल किया। यह घोटाला बिहार के दरभंगा जिले के दो चार्टर्ड अकाउंटेंट भाइयों के कारण उजागर हुआ। इस मामले की जांच तब शुरू हुई जब अरुणाचल प्रदेश पुलिस ने 2024 में दरभंगा के चार्टर्ड अकाउंटेंट भाइयों, आशुतोष झा और विपिन झा, को गिरफ्तार किया। उन पर 100 करोड़ रुपये के आईटीसी घोटाले का आरोप था। जांच एजेंसी के अनुसार, झा भाइयों ने अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में स्थित एक कंपनी 'सिद्धिविनायक ट्रेड मर्चेंट' का उपयोग किया, जिसके मालिक का नाम राहुल जैन है। इन दोनों भाइयों ने सीमा हैदर और सचिन की तस्वीरों का उपयोग करके फर्जी पहचान पत्र बनाए और सरकारी खजाने को लगभग ₹99.21 करोड़ का नुकसान पहुंचाया।