ई-सिगरेट के कारण कैंसर का शिकार हुई 22 वर्षीय लड़की की कहानी

22 वर्षीय केली बोडा की कहानी एक चेतावनी है, जो ई-सिगरेट के कारण कैंसर का शिकार हुईं। 15 साल की उम्र में वेपिंग शुरू करने के बाद, उनकी सेहत में तेजी से गिरावट आई। अजीब खांसी और खून आने के बाद, उन्हें कैंसर का पता चला। सर्जरी और कीमोथेरेपी के दर्दनाक अनुभव ने उनकी जिंदगी को बदल दिया। अब, केली अपने अनुभव को साझा कर युवाओं को चेतावनी देना चाहती हैं कि वेपिंग को हल्के में लेना एक बड़ी गलती हो सकती है।
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ई-सिगरेट के कारण कैंसर का शिकार हुई 22 वर्षीय लड़की की कहानी

ई-सिगरेट से कैंसर का खतरा

ई-सिगरेट के कारण कैंसर का शिकार हुई 22 वर्षीय लड़की की कहानी

ई-सिगरेट के कारण हुआ कैंसर Image Credit source: Getty Images

आजकल युवा अपने आस-पास के माहौल से जल्दी प्रभावित होते हैं। दोस्तों, सोशल मीडिया और ट्रेंड्स के चलते वे कई बार ऐसी आदतें अपना लेते हैं, जो उनकी सेहत पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती हैं। नशे की लत इनमें से एक है। पहले सिगरेट का चलन था, लेकिन अब ई-सिगरेट और वेपिंग तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इसे अक्सर सुरक्षित विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न है। वेपिंग में उपयोग होने वाले लिक्विड को गर्म करके निकोटीन और अन्य हानिकारक रसायन निकाले जाते हैं, जो फेफड़ों और शरीर के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। हाल ही में एक मामला सामने आया है जो इस खतरे को उजागर करता है।

इंग्लैंड के मैनचेस्टर की निवासी केली बोडा की कहानी इस खतरे का एक जीवंत उदाहरण है। उन्होंने बहुत कम उम्र में वेपिंग शुरू की, जो उनकी जिंदगी को एक ऐसे मोड़ पर ले आई, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी। केवल 15 साल की उम्र में वेपिंग शुरू करने के बाद, यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गई। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि वह हर हफ्ते लगभग 600 पफ वाला डिस्पोजेबल वेप इस्तेमाल करने लगीं।

अजीब खांसी का अनुभव

जनवरी 2025 में उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। उन्हें एक अजीब खांसी होने लगी, जो सामान्य नहीं थी। खांसते समय उनके मुंह से भूरे रंग का बलगम निकलता था, जिसमें दानेदार कण दिखाई देते थे। चिंतित होकर उन्होंने डॉक्टरों से संपर्क किया, लेकिन उनकी उम्र के कारण किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। डॉक्टरों ने इसे मामूली छाती का संक्रमण बताकर दवाइयां देकर घर भेज दिया। हर बार यही कहा गया कि यह सामान्य है और ठीक हो जाएगा।

हालांकि, स्थिति बिगड़ती गई और एक दिन खांसी के साथ खून आने लगा। यह वह समय था जब डॉक्टरों ने एक्स-रे कराने की सलाह दी। एक्स-रे रिपोर्ट में फेफड़ों में एक संदिग्ध छाया दिखाई दी। फिर भी डॉक्टरों ने कहा कि उनकी उम्र को देखते हुए कैंसर की संभावना कम है। फिर भी एहतियात के तौर पर आगे की जांच की गई। कई बायोप्सी की गईं ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके।

लगातार सात बायोप्सी के बाद अगस्त 2025 में सच्चाई सामने आई। रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि केली को फेफड़ों का कैंसर है। यह सुनकर न केवल केली, बल्कि उनका पूरा परिवार सदमे में आ गया। किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि महज 21 साल की उम्र में कोई इस गंभीर बीमारी का शिकार हो सकता है। खुद केली ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि इतनी कम उम्र में कैंसर का सामना करना पड़ेगा।

कैंसर का फैलाव

सितंबर 2025 में उनकी सर्जरी की गई। इस दौरान डॉक्टरों को उनके दाहिने फेफड़े का निचला हिस्सा और आसपास के कुछ लिम्फ नोड्स निकालने पड़े। ऑपरेशन के दौरान यह भी पता चला कि कैंसर लिम्फ नोड्स तक फैल चुका है। इस कारण कैंसर का स्टेज 1 से बढ़ाकर स्टेज 3 कर दिया गया। सर्जरी के बाद उन्हें कीमोथेरेपी दी गई, जो उनके लिए बेहद दर्दनाक और थकाने वाला अनुभव रहा। केली ने बताया कि इलाज के दौरान उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि वे अपना सिर तक नहीं उठा पाती थीं। उन्हें खून की उल्टियां होती थीं और उन्होंने खाना-पीना लगभग छोड़ दिया था। महज चार दिनों में उनका वजन करीब चार किलो कम हो गया।

सर्जरी और इलाज के बाद केली को PTSD यानी मानसिक आघात की समस्या हो गई। आज भी उन्हें अक्सर डरावने सपने आते हैं, जिनमें वह खुद को अस्पताल के बिस्तर पर सांस लेने के लिए जूझते हुए देखती हैं। इस अनुभव ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने वेपिंग को हमेशा के लिए छोड़ दिया है और अपने पार्टनर, मां और दोस्तों को भी इस आदत से दूर रहने के लिए प्रेरित किया।

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अब 22 साल की केली अपने अनुभव को साझा करके युवाओं को चेतावनी देना चाहती हैं। उनका कहना है कि वेपिंग को हल्के में लेना एक बड़ी गलती हो सकती है। जो चीज शुरुआत में मजेदार लगती है, वही आगे चलकर जानलेवा साबित हो सकती है। केली चाहती हैं कि उनकी कहानी दूसरों के लिए एक सबक बने और युवा समय रहते सही निर्णय लें।