ई-रिक्शा के लिए सुरक्षा मानक लाने की योजना: नितिन गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ई-रिक्शा के लिए सुरक्षा मानक लाने की योजना का ऐलान किया है। उन्होंने सड़क सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि हर साल लाखों सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें हजारों लोग अपनी जान गंवाते हैं। गडकरी ने सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए जागरूकता बढ़ाने और घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस पहल से सड़क सुरक्षा में सुधार की उम्मीद है।
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ई-रिक्शा के लिए सुरक्षा मानक लाने की योजना: नितिन गडकरी

सड़क सुरक्षा के लिए नए मानक

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में बताया कि सरकार देश में सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए ई-रिक्शा के लिए 'भारत एनकैप' के समान सुरक्षा मानक लागू करने पर विचार कर रही है।


गडकरी ने फिक्की द्वारा आयोजित सड़क सुरक्षा पुरस्कार एवं संगोष्ठी के सातवें संस्करण में कहा कि सड़क सुरक्षा सरकार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि हर साल भारत में लगभग पांच लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें से 1.8 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। इनमें से 66.4 प्रतिशत मौतें 18 से 45 वर्ष की आयु के लोगों की होती हैं।


उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए जागरूकता बढ़ाने और घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाने की आवश्यकता पर जोर दिया।


गडकरी ने ई-रिक्शा की सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, 'देश में ई-रिक्शा की संख्या बहुत अधिक है। हम यह देख रहे हैं कि इनके लिए सुरक्षा मानकों में कैसे सुधार किया जा सकता है। हम ई-रिक्शा के लिए भी भारत-एनकैप जैसे सुरक्षा मानक लाने की योजना बना रहे हैं।'


उन्होंने चार पहिया वाहनों के लिए सुरक्षा मानकों में सुधार के उद्देश्य से 2023 में भारत-एनकैप सुरक्षा मानक की शुरुआत की थी। गडकरी ने बताया कि हेलमेट न पहनने से लगभग 30,000 और सीट बेल्ट न लगाने से 16,000 मौतें होती हैं। सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश के जीडीपी का लगभग तीन प्रतिशत नुकसान होता है।


गडकरी ने यह भी बताया कि देशभर में विभिन्न स्थानों पर दुर्घटनाओं के कारणों का पता लगाने के लिए सुरक्षा ऑडिट किए गए हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि सड़क दुर्घटनाएं एक सामाजिक समस्या हैं और इस क्षेत्र में हमें अन्य क्षेत्रों की तरह सफलता नहीं मिली है।


मंत्री ने आम जनता से अपील की कि वे सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं, क्योंकि समय पर इलाज से लगभग 50,000 लोगों की जान बचाई जा सकती है।