इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार के स्कूल विलय योजना को दी मंजूरी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के 5,000 स्कूलों के विलय की योजना को मंजूरी दे दी है। न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की अपील को खारिज करते हुए कहा कि इससे शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह योजना कम नामांकन वाले स्कूलों के संचालन को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई है, जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षण वातावरण मिल सकेगा। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की वजह और इसके संभावित लाभ।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार के स्कूल विलय योजना को दी मंजूरी

इलाहाबाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित 5,000 स्कूलों के विलय के निर्णय पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने सीतापुर के 51 बच्चों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने विलय प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी, यह कहते हुए कि इससे उनकी शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की अध्यक्षता वाली एकल न्यायाधीश पीठ ने योगी आदित्यनाथ की सरकार की योजना को बरकरार रखा, जिससे स्कूलों के विलय की प्रक्रिया आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो गया। याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया कि छोटे स्कूलों का बड़े संस्थानों में विलय करने से शिक्षण का माहौल प्रभावित होगा। हालांकि, न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए राज्य के निर्णय के पक्ष में फैसला सुनाया।


विलय योजना का उद्देश्य

यह विलय योजना उन स्कूलों के संचालन को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार की एक व्यापक पहल का हिस्सा है, जिनमें नामांकन की संख्या कम है। सरकार ने लगभग 5,000 ऐसे स्कूलों की पहचान की है, जहाँ छात्र संख्या इतनी कम है कि वे स्वतंत्र रूप से संचालित नहीं हो पा रहे हैं। योजना के अनुसार, इन स्कूलों को आस-पास के उन संस्थानों में विलय किया जाएगा जहाँ छात्र संख्या अधिक है, जबकि कम उपयोग में आने वाले परिसरों को बंद कर दिया जाएगा।


नई व्यवस्था के लाभ

नई व्यवस्था के तहत, छोटे स्कूलों के छात्रों को नज़दीकी अन्य संस्थानों में शामिल किया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है, ताकि छात्रों को एक मजबूत शिक्षण वातावरण उपलब्ध हो सके।