इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी पर जनहित याचिका की सुनवाई टली

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई को 21 जुलाई तक स्थगित कर दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बताया कि न्यायालय में न्यायाधीशों की भारी कमी है, जिससे 11 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ की जनसंख्या के लिए केवल एक न्यायाधीश उपलब्ध है, जो औसतन 14,623 मामलों का निपटारा कर रहा है। यह स्थिति न्यायपालिका के लिए गंभीर संकट का संकेत देती है।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी पर जनहित याचिका की सुनवाई टली

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सुनवाई

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने न्यायाधीशों के रिक्त पदों को शीघ्रता से भरने के लिए एक जनहित याचिका पर सुनवाई को 21 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया है।


यह सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार सिन्हा की पीठ द्वारा की जा रही है, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश त्रिवेदी ने याचिका दायर की है।


सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय वर्तमान में अपने इतिहास के सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहा है, क्योंकि न्यायाधीशों की संख्या में भारी कमी आई है।


उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ की जनसंख्या के लिए 11 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। इसका मतलब है कि हर 30 लाख लोगों पर केवल एक न्यायाधीश है, और प्रत्येक न्यायाधीश औसतन 14,623 मामलों का निपटारा कर रहा है।


याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि उच्च न्यायालय में स्वीकृत न्यायाधीशों की संख्या की तुलना में वर्तमान में केवल 50 प्रतिशत से कम न्यायाधीश कार्यरत हैं, जिसके कारण 11 लाख से अधिक मामले लंबित हैं।