इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संगीतकार सुनील यादव की गिरफ्तारी पर लगाई रोक

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संगीतकार सुनील यादव की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, जो एक अपहरण मामले में आरोपी हैं। यादव पर आरोप है कि उन्होंने एक लड़की का अपहरण किया, जिसे उन्होंने अपने एलबम के लिए अनुबंधित किया था। मामले में सुष्मिता यादव नाम की शिकायतकर्ता ने सुनील पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि सुनील का कहना है कि यह सब एक झूठी कहानी है। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश दिया है।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संगीतकार सुनील यादव की गिरफ्तारी पर लगाई रोक

गिरफ्तारी पर रोक का आदेश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अपहरण मामले में संगीतकार सुनील यादव की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। यादव के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में आरोप है कि उसने एक लड़की का अपहरण किया, जिसे उसने अपने एलबम के लिए अनुबंधित किया था.


मामले की पृष्ठभूमि

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने पीड़िता की बहन और शिकायतकर्ता सुष्मिता यादव को नोटिस जारी किया है। मामले के अनुसार, सुष्मिता की बहन अनुपमा यादव, याचिकाकर्ता सुनील यादव से प्रेम करती थी और दोनों अप्रैल में विवाह करने वाले थे, जिससे सुष्मिता ने सुनील पर भरोसा किया.


अपहरण का आरोप

19 फरवरी, 2025 को सुनील यादव ने अनुपमा को अपने साथ स्कॉर्पियो गाड़ी में ले जाने का दावा किया, यह कहते हुए कि उन्हें शादी के लिए नेपाल जाना है। लेकिन दो घंटे बाद अनुपमा ने अपने भाई सूर्य कुमार यादव को फोन किया और बताया कि सुनील उसे नेपाल नहीं, बल्कि बिहार ले जा रहा है। इसके बाद से अनुपमा का मोबाइल बंद हो गया.


परिवार की चिंता

22 फरवरी, 2025 को सुनील ने बताया कि अनुपमा उसके साथ नहीं है। सुष्मिता को संदेह है कि सुनील ने उसकी बहन को कहीं बेच दिया है या उसकी हत्या कर दी है.


याचिकाकर्ता का बचाव

याचिकाकर्ता का कहना है कि सुष्मिता और अनुपमा अन्य लोगों के साथ मिलकर एक रैकेट चला रही हैं, जो भोले-भाले लोगों को फंसाकर उनसे धन उगाही करती हैं. सुनील के वकील ने यह भी कहा कि अनुपमा के अनुरोध पर उसने उसे एलबम में भूमिका निभाने का अवसर दिया और छह-सात लाख रुपये भी दिए, लेकिन जब अनुपमा ने काम करने या पैसे लौटाने से इनकार किया, तो सुष्मिता ने अपहरण की झूठी कहानी बनाई.


अदालत का निर्णय

संबंधित पक्षों की सुनवाई के बाद, अदालत ने 27 मई को कहा कि मामले पर विचार करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की आवश्यकता है। हालांकि, याचिकाकर्ता ने इस मामले में चल रही जांच में सहयोग करने का आश्वासन दिया है.