इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बिकरू नरसंहार मामले में आरोपी को दी जमानत

जमानत का आदेश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर नगर के चौबेपुर थाना के पूर्व प्रभारी निरीक्षक विनय कुमार तिवारी को जमानत प्रदान की है।
आरोप और घटना
विनय कुमार पर आरोप है कि उन्होंने गैंगस्टर विकास दूबे को पुलिस की छापेमारी की जानकारी दी थी, जिसके परिणामस्वरूप 3 जुलाई, 2020 को दूबे और उसके गिरोह द्वारा किए गए हमले में आठ पुलिसकर्मियों की जान चली गई।
न्यायमूर्ति का निर्णय
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने 16 जून को जमानत देते हुए कहा, "संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, मुकदमे के निष्कर्ष की अनिश्चितता को देखते हुए याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाए।"
वकील की दलीलें
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि उनका मुवक्किल 8 जुलाई, 2020 से जेल में है। उन्होंने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष ने 30 सितंबर, 2020 को आरोप पत्र दाखिल करने के बाद से मुकदमा शुरू करने में ढाई साल से अधिक का समय लिया।
गवाहों की स्थिति
वकील ने यह भी बताया कि अधीनस्थ न्यायालय में अभियोजन पक्ष की ओर से 102 गवाहों की गवाही हो चुकी है और लगभग 13 गवाहों से जिरह की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि आरोप साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया है।
राज्य सरकार का विरोध
राज्य सरकार के वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता और सह आरोपी केके शर्मा ने मिलकर षड़यंत्र रचा, जिससे यह घटना घटी। उन्होंने यह भी बताया कि 102 में से 14 गवाहों की गवाही हो चुकी है और मुकदमा जल्द ही समाप्त होगा।
घटना का विवरण
गैंगस्टर विकास दूबे की गिरफ्तारी के लिए 3 जुलाई, 2020 को गए पुलिस दल पर हुए हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। इस घटना के बाद, विकास दूबे को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया।