इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा पर गंभीर आरोप

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा पर नकदी बरामदगी मामले में गंभीर आरोप लगे हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने कहा है कि जली हुई नकदी जिस स्टोर रूम में मिली, वह पूरी तरह से न्यायाधीश और उनके परिवार के नियंत्रण में था। समिति ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और 50 से अधिक गवाहों के बयान के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की गई है।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा पर गंभीर आरोप

न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच रिपोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को नकदी बरामदगी मामले में दोषी ठहराने वाली समिति ने यह स्पष्ट किया है कि जिस स्टोर रूम में जली हुई नकदी पाई गई थी, वह पूरी तरह से न्यायाधीश और उनके परिवार के नियंत्रण में था। सूत्रों के अनुसार, समिति ने कुछ ऐसे सबूत प्राप्त किए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि 15 मई को आग लगने के बाद स्टोर रूम से जली हुई नकदी को हटा दिया गया था।


इस महीने की शुरुआत में, भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने समिति की रिपोर्ट और न्यायमूर्ति वर्मा के उत्तर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे गए पत्र में साझा किया था।


सूत्रों ने बताया कि समिति ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य सहित विभिन्न सबूतों पर विचार करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आरोप इतने गंभीर हैं कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।


समिति ने साक्ष्यों का गहन विश्लेषण किया है और दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा तथा दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख समेत 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए हैं। ये सभी 14 मार्च को रात 11:35 बजे नई दिल्ली के लुटियंस क्षेत्र में न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद पहले प्रतिक्रिया देने वालों में शामिल थे। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे।