इलाहाबाद उच्च न्यायालय का पुलिस अधिकारियों पर सख्त आदेश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों की जन शिकायतों के प्रति उदासीनता पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति अनिल कुमार की पीठ ने अपहरण मामलों में पुलिस की लापरवाही को लेकर सख्त टिप्पणी की। नितेश कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार और वाराणसी के पुलिस आयुक्त को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि यदि अपहृत व्यक्ति का तुरंत पता नहीं लगाया गया और उसकी हत्या होती है, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित पुलिस अधिकारी पर तय की जानी चाहिए।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय का पुलिस अधिकारियों पर सख्त आदेश

पुलिस की उदासीनता पर अदालत की टिप्पणी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक आदेश में यह स्पष्ट किया है कि पुलिस अधिकारी अक्सर जन शिकायतों को सुनने और उनका समाधान करने से कतराते हैं। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति अनिल कुमार की पीठ ने यह भी कहा कि अपहरण के मामलों में पुलिस की लापरवाही देखने को मिलती है, क्योंकि उन पर कोई व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं होती।


नितेश कुमार की याचिका पर सुनवाई

यह आदेश नितेश कुमार द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें उन्होंने अपने लापता भाई के बारे में जानकारी मांगी थी। नितेश का आरोप है कि वाराणसी के पुलिस अधिकारियों ने उसके भाई का पता लगाने में कोई प्रयास नहीं किया।


सरकार और पुलिस आयुक्त को निर्देश

अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही, वाराणसी के पुलिस आयुक्त को अगली सुनवाई की तारीख (12 जून) से पहले व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने के लिए कहा गया है, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि अपहृत व्यक्ति को अब तक क्यों नहीं खोजा गया।


जवाबदेही की कमी पर चिंता

पीठ ने यह भी कहा कि जवाबदेही की कमी के कारण कई बार अपहृत व्यक्तियों की हत्या कर दी जाती है। अदालत ने सुझाव दिया कि यदि अपहृत व्यक्ति का तुरंत पता नहीं लगाया जाता और उसकी हत्या होती है, तो इसकी जिम्मेदारी उस पुलिस अधिकारी पर तय की जानी चाहिए, जिसके क्षेत्राधिकार में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की गई है।