इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश: प्रशासनिक अवमानना के लिए मुख्य सचिव जिम्मेदार
अवमानना के मामलों में प्रशासनिक जिम्मेदारी
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि प्रशासनिक प्रणाली में किसी प्रकार की गड़बड़ी के कारण अदालत के आदेश का पालन नहीं किया जाता है, तो सरकारी विभाग का उच्चतम अधिकारी अवमानना की कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा।
भूमि अधिग्रहण अधिनियम और उचित मुआवजे से संबंधित मामलों में अवमानना के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव को जिम्मेदार ठहराते हुए अदालत ने कहा कि विभिन्न विभागों के बीच कार्य विभाजन को अदालत के आदेश का पालन न करने का बहाना नहीं बनाया जा सकता।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि इस अदालत द्वारा दिए गए आदेश का पूर्ण पालन सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने कहा, "यदि प्रशासनिक तंत्र में विभाग या अधिकारी के संबंध में कोई भ्रम है, तो आदेश का पालन न होने की स्थिति में सर्वोच्च अधिकारी जिम्मेदार होगा।"
इस अवमानना मामले में याचिकाकर्ता विनय कुमार सिंह की भूमि का अधिग्रहण 1977 में किया गया था। उनके अनुसार, 1982 और 1984 में मुआवजे का आदेश दिया गया था, लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं मिला और भूमि उनके कब्जे में रही।
2013 में लागू कानून के बाद मुआवजा सरकारी खजाने में जमा किया गया, लेकिन याचिकाकर्ता ने इसे लेने से मना कर दिया। पुणे नगर निगम बनाम हरकचंद मिश्रीलाल सोलंकी मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि चूंकि अधिग्रहण की प्रक्रिया की समयसीमा समाप्त हो चुकी थी, उन्होंने भूमि को अपने पक्ष में जारी करने के लिए अधिकारियों के समक्ष आवेदन दिया।
हालांकि, इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद, याचिकाकर्ता ने रिट याचिका दायर की और अदालत ने माना कि मुआवजे की राशि उचित नहीं थी और अधिग्रहण की प्रक्रिया समाप्त हो गई थी।
अदालत के आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता को भूमि नहीं लौटाई गई, जिसके बाद उन्होंने अवमानना याचिका दायर की, जिसमें अधिकारियों को अनुपालन के लिए समय दिया गया। जब आदेश का पालन नहीं किया गया, तो उन्होंने दूसरी अवमानना याचिका दायर की। प्रारंभ में भूमि का अधिग्रहण सिंचाई विभाग द्वारा किया गया था, लेकिन बाद में इसे शहरी विकास विभाग को सौंप दिया गया। इसलिए विभाग के प्रमुख सचिव को इस अवमानना याचिका में पक्षकार बनाया गया।
अदालत ने कहा कि राज्य के अधिकारियों ने जानबूझकर अदालत के आदेश की अवमानना की है। यह अवमानना जानबूझकर और परिणामों की पूरी जानकारी के साथ की गई।
भूमि अधिग्रहण के मामलों में मुख्य सचिव सर्वोच्च अधिकारी हैं, जिन्हें आदेश का पालन करने के लिए एक महीने का समय दिया गया है, अन्यथा उन्हें अगली सुनवाई 5 जनवरी, 2026 को उपस्थित होना होगा।
