इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश: आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्म भोजन वितरण का निर्देश

उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को सूखा पोषाहार देने के बजाय गर्म पका हुआ भोजन प्रदान किया जाए।
न्यायालय ने कहा कि समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) पिछले पचास वर्षों से चल रही है और इसे सही तरीके से लागू करना आवश्यक है ताकि बच्चों को कुपोषण का सामना न करना पड़े।
न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने शिप्रा देवी और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह निर्णय लिया। पीठ ने 29 जुलाई को इन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब सुनाया गया।
याचिका का विवरण
लखीमपुर की निवासी शिप्रा देवी ने याचिका में कहा कि यह योजना पिछले पचास वर्षों से चल रही है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार वितरित किया जाता है।
याचिका में यह भी कहा गया कि नियमों के अनुसार गर्म पका हुआ भोजन दिया जाता था, लेकिन राज्य सरकार ने अब स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सूखा पोषाहार वितरित करने का निर्णय लिया है, जिसे रोकने की मांग की गई।
सरकार का पक्ष
केंद्र और राज्य सरकार ने इन याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि पहले गर्म पका हुआ भोजन वितरित करने की व्यवस्था थी, जिसके लिए कंपनियों से आपूर्ति की जाती थी। अब सरकार का नया निर्णय स्थानीय स्तर पर स्वयं सहायता समूहों से काम लेने का है, जिससे बच्चों और माताओं को बेहतर पोषण मिल सकेगा।
सरकार ने यह भी कहा कि जनहित याचिकाएं विचारणीय नहीं हैं और इन्हें प्रभावित कंपनियों द्वारा छद्म तरीके से दायर किया गया है।
न्यायालय का निर्देश
न्यायालय ने जनहित याचिकाओं का निपटारा करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पोषण आहार केवल गर्म पके भोजन और घर ले जाने वाले भोजन के रूप में ही वितरित किया जाए।
पीठ ने कहा, "स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता देना और महिलाओं को सशक्त बनाना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह सशक्तिकरण ग्राम पंचायतों की भागीदारी से होना चाहिए।"