इमामगंज विधानसभा चुनाव: दिलचस्प मुकाबला और राजनीतिक इतिहास

इमामगंज विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां के चुनावी मैदान में एनडीए की दीपा मांझी, आरजेडी की रितु प्रिया चौधरी और जनसुराज पार्टी के अजीत कुमार के बीच मुकाबला हो रहा है। जीतन राम मांझी का यह गढ़ पिछले चुनावों में उनकी बहू दीपा मांझी द्वारा जीते जाने के बाद से और भी महत्वपूर्ण हो गया है। जानें इस सीट के पिछले चुनाव परिणाम और वर्तमान स्थिति के बारे में।
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इमामगंज विधानसभा चुनाव: दिलचस्प मुकाबला और राजनीतिक इतिहास

इमामगंज की राजनीतिक पहचान

बिहार के गयाजी जिले में इमामगंज विधानसभा क्षेत्र की एक खास पहचान है। यह क्षेत्र केवल एक विधानसभा सीट नहीं है, बल्कि यहां के जंगल, पहाड़ और ऐतिहासिक विद्रोह की कहानियां इसे विशेष बनाती हैं। राजनीतिक दृष्टि से, यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर मतदान 11 नवंबर को दूसरे चरण में होगा और यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।


चुनाव में मुकाबला

इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से एनडीए के घटक दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की दीपा मांझी चुनावी मैदान में हैं, जो जीतन राम मांझी की बहू हैं। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल ने इस सीट पर रितु प्रिया चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने इस चुनाव को त्रिकोणीय बनाते हुए अजीत कुमार को मैदान में उतारा है, जिससे मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।


पिछले चुनावों की झलक

2020 के विधानसभा चुनाव में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के जीतन राम मांझी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी, जिसमें उन्होंने आरजेडी के उदय नारायण चौधरी को हराया था। जब जीतन राम मांझी सांसद बने, तो इमामगंज सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें उनकी बहू दीपा मांझी ने जीत दर्ज की और 'हम' पार्टी का परचम लहराया।


इससे पहले, 2015 के विधानसभा चुनाव में जीतन राम मांझी ने उदय नारायण चौधरी को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था। उदय नारायण चौधरी ने इस सीट से पहले पांच बार चुनाव जीते थे, लेकिन जीतन राम मांझी ने उन्हें करीब 30 हजार वोटों से हराकर इस सिलसिले को तोड़ा। तब से इस सीट पर मांझी का दबदबा बना हुआ है।