इनकम टैक्स में नया ऑनलाइन फीचर: गलती सुधारना हुआ आसान
इनकम टैक्स विभाग का नया अपडेट
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट
इनकम टैक्स विभाग ने करदाताओं के लिए एक नया ऑनलाइन फीचर पेश किया है। इसके अंतर्गत, अब कुछ विशेष आयकर आदेशों में त्रुटियों को सुधारने के लिए आवेदन सीधे ऑनलाइन किया जा सकेगा। पहले यह प्रक्रिया काफी जटिल और समय लेने वाली थी, जिसमें मैन्युअल आवेदन देना पड़ता था या असेसिंग ऑफिसर (AO) के माध्यम से फाइल को आगे बढ़ाना होता था।
विभाग ने जानकारी दी है कि अब ट्रांसफर प्राइसिंग (TP), विवाद समाधान पैनल (DRP) और संशोधन आदेशों के खिलाफ सुधार की अर्जी सीधे संबंधित प्राधिकरण के पास ई-फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से दी जा सकती है। इसके लिए, ई-फाइलिंग पोर्टल में Services टैब पर जाकर Rectification विकल्प का चयन करें और फिर Request to AO seeking rectification पर क्लिक करें।
इसका क्या अर्थ है?
चार्टर्ड अकाउंटेंट डॉ. सुरेश सुराना के अनुसार, इस परिवर्तन के बाद करदाता अब आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाकर इलेक्ट्रॉनिक रूप से त्रुटि सुधारने की अर्जी सीधे सही कर प्राधिकरण को भेज सकते हैं। यह विशेष रूप से उन मामलों में सहायक है, जहां असेसमेंट आदेश में स्पष्ट त्रुटि दिखाई देती है। यदि करदाता को नीचे दिए गए आदेशों में कोई स्पष्ट गलती नजर आती है:
- ट्रांसफर प्राइसिंग (TP) आदेश
- DRP के निर्देश
- संशोधन आदेश (जैसे धारा 263 या 264 के तहत दिए गए आदेश)
- तो वह सीधे उसी प्राधिकरण को सुधार की अनुरोध भेज सकता है, जिसने मूल आदेश को लागू करने का अधिकार रखा है।
संशोधन आदेश क्या होते हैं?
संशोधन आदेश वे आदेश होते हैं, जिन्हें वरिष्ठ आयकर अधिकारी किसी असेसिंग ऑफिसर के निर्णय की समीक्षा या संशोधन के लिए जारी करते हैं। धारा 263 के तहत, यदि कोई आदेश गलत हो या विभाग के हित में न हो, तो उसे बदला या रद्द किया जा सकता है। वहीं, धारा 264 के तहत करदाता को राहत देने के लिए आदेश में संशोधन किया जा सकता है।
पहले क्या समस्याएं थीं?
पहले इन मामलों में सुधार के लिए कोई एकीकृत ऑनलाइन प्रणाली नहीं थी। करदाताओं को आवेदन हाथ से देना पड़ता था या AO के माध्यम से भेजना पड़ता था, जिससे देरी और बार-बार फॉलोअप की समस्या उत्पन्न होती थी।
नए फीचर के लाभ
इस नए फीचर से पूरी प्रक्रिया डिजिटल, सरल और पारदर्शी हो गई है। अब आवेदन की ट्रैकिंग करना आसान होगा, कागजी कार्य कम होगा और समय की बचत होगी। विशेष रूप से ट्रांसफर प्राइसिंग और संशोधन जैसे जटिल मामलों में करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी।
