इजराइल का गाजा पर कब्जा: नेतन्याहू की नई रणनीति और अल-मवासी का महत्व

इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ गाजा पर कब्जा करने की नई योजना का ऐलान किया है। इस योजना के तहत, इजराइल ने गाजा के 75 प्रतिशत हिस्से पर पहले ही नियंत्रण स्थापित कर लिया है। अल-मवासी, जो कि हमास का अंतिम गढ़ माना जा रहा है, वहां इजराइल की सेना के लिए हमला करना चुनौतीपूर्ण है। इस बीच, इजराइल में इस योजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें बंधकों की रिहाई और युद्ध विराम की मांग की जा रही है। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और अल-मवासी का महत्व।
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इजराइल का गाजा पर कब्जा: नेतन्याहू की नई रणनीति और अल-मवासी का महत्व

नेतन्याहू का नया प्लान

इजराइल के प्रधानमंत्री ने हमास के खिलाफ एक नई रणनीति का खुलासा किया है। पिछले सप्ताह, प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने घोषणा की थी कि वह गाजा के पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित करेंगे। इस प्रस्ताव को इजराइल की कैबिनेट ने भी स्वीकृति दे दी है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर इस योजना की आलोचना हो रही है, और यह चिंता जताई जा रही है कि यह गाजा में मानवीय संकट को और बढ़ा सकती है।


गाजा में इजराइल की स्थिति

वर्तमान में, इजराइल की सेना ने गाजा के 75 प्रतिशत हिस्से पर पहले से ही कब्जा कर लिया है। शेष क्षेत्र में, जहां घनी जनसंख्या वाले विस्थापित फिलिस्तीनी निवास कर रहे हैं, इजराइल का मानना है कि हमास का अंतिम गढ़ अल-मवासी यहीं स्थित है। नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत में इस किले पर कब्जा करने की योजना का उल्लेख किया है।


अल-मवासी का महत्व

अल-मवासी एक 10 मील (16 किमी) लंबी रेतीली पट्टी है, जो भूमध्यसागरीय तट के साथ फैली हुई है। यह क्षेत्र राफा के निकट है और यहां रेत के टीले हैं। माना जा रहा है कि हमास के लड़ाके इन बंकरों में छिपे हुए हैं। अल-मवासी एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जहां इजराइल के लिए हमला करना मुश्किल हो रहा है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, हमास के लड़ाके इसे सुरक्षित मानते हैं, जबकि इजराइल ने यहां भी हवाई हमले जारी रखे हैं।


इजराइल में विरोध

गाजा पर कब्जा करने की योजना के खिलाफ इजराइल में भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। शनिवार को, तेल अवीव में लगभग 10,000 लोगों ने एकत्र होकर बंधकों की रिहाई और युद्ध विराम की मांग की। विरोधियों का कहना है कि इस तरह की योजना गाजा में बंधकों की जान को खतरे में डाल सकती है और कई सैनिकों की जान भी जा सकती है।