इंश्योरेंस बिल 2025: उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए नए प्रावधान
इंश्योरेंस बिल में महत्वपूर्ण बदलाव
नई दिल्ली। अब बीमा लेते समय उपभोक्ताओं को यह जानकारी मिलेगी कि उनके बीमा एजेंट को कितना कमीशन मिला है। इससे ग्राहकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि उनके भुगतान में किन-किन लोगों की हिस्सेदारी है।
वर्तमान में, पॉलिसी के विवरण में यह जानकारी शामिल नहीं होती है। पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा के लिए एक विशेष फंड भी स्थापित किया जाएगा, जो विभिन्न दान और कंपनियों पर लगाए गए जुर्माने से भरा जाएगा।
बिल की मुख्य विशेषताएँ
सबका बीमा, सबकी सुरक्षा (बीमा संशोधन) बिल 2025 में ग्राहकों के हितों को प्राथमिकता दी गई है। यह बिल इस सप्ताह संसद में पेश किया जा सकता है, क्योंकि कैबिनेट कमेटी ने पहले ही इसकी मंजूरी दे दी है।
इस बिल का मुख्य उद्देश्य बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना है, जिससे नए कंपनियों का आगमन और मौजूदा कंपनियों का विस्तार संभव हो सके। इससे बीमा क्षेत्र में नए उत्पादों की पेशकश होगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिसका लाभ ग्राहकों को मिलेगा।
सरकार का बीमा कवरेज बढ़ाने का प्रयास
सरकार सभी संस्थानों और आवासों को बीमा के दायरे में लाने की योजना बना रही है। बिल में यह भी प्रावधान है कि बीमा कंपनियाँ किसी ग्राहक का डेटा साझा नहीं कर सकेंगी, अन्यथा उन्हें जुर्माना देना होगा।
बीमा कंपनियों के लिए नए नियम
बिल में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) के अधिकारों को बढ़ाने का प्रावधान भी है। नियमों का उल्लंघन करने पर बीमा कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है, जो दस करोड़ तक हो सकता है।
IRDA गलत प्रथाओं को रोकने के लिए बीमा कंपनियों और मध्यस्थों को निर्देश दे सकता है। बीमा मध्यस्थों को बार-बार लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन बिना पंजीकरण के काम करने वाले मध्यस्थों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
एलआईसी को अपने विस्तार के लिए पहले से अधिक अधिकार दिए जाएंगे, जिससे वह बिना सरकारी अनुमति के अपने जोनल ऑफिस खोल सकेगा। इस साल के बजट में बीमा कंपनियों में FDI की सीमा को 100 प्रतिशत करने की घोषणा की गई थी।
