इंदौर में दूषित पानी से 7 लोगों की मौत, 40 से अधिक बीमार

इंदौर में दूषित पानी पीने से 7 लोगों की मौत हो गई है और 40 से अधिक लोग बीमार हैं। मुख्यमंत्री ने इस मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। स्थानीय निवासियों ने कई बार शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जानें इस स्वास्थ्य संकट के पीछे के कारण और सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में।
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इंदौर में दूषित पानी से 7 लोगों की मौत, 40 से अधिक बीमार

दूषित पानी का संकट

भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में दूषित पेयजल के सेवन से कम से कम 7 व्यक्तियों की जान चली गई है और 40 से अधिक लोग बीमार हो गए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र में इस गंभीर समस्या का संज्ञान लिया है और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के तहत, इंदौर के कलेक्टर शिवम वर्मा ने ज़ोनल ऑफिसर शालिग्राम सिटोले और असिस्टेंट इंजीनियर योगेश जोशी को तुरंत निलंबित कर दिया है, जबकि इंचार्ज सब-इंजीनियर शुभम श्रीवास्तव को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।


मेयर की पुष्टि

इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने इंडिया टीवी से बातचीत में बताया कि इस घटना में अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़े में केवल 3 मौतें दर्ज की गई हैं, जबकि वास्तविक संख्या 7 है।


स्वास्थ्य संकट

अधिकारियों के अनुसार, 24 दिसंबर से उल्टी और दस्त के मामलों में तेजी आई है। वर्तमान में 40 से अधिक लोग बीमार हैं, और 1000 से ज्यादा निवासियों को चिकित्सा सहायता मिल चुकी है। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि जब निवासियों को घरों के नलों से गंदा और बदबूदार पानी मिल रहा था, तब स्थिति बिगड़ती गई।


सरकारी कार्रवाई और मुआवज़ा

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तीन नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। एक ज़ोनल अधिकारी और एक असिस्टेंट इंजीनियर को निलंबित किया गया है, जबकि एक सब-इंजीनियर की सेवाएँ समाप्त कर दी गई हैं। घटना की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक समिति भी गठित की गई है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवारों के लिए 2,00,000 रुपये के मुआवज़े की घोषणा की है।


निवासियों की शिकायतें

निवासियों ने बताया कि वे कई दिनों से दूषित पानी की आपूर्ति के बारे में शिकायत कर रहे थे, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। एक स्थानीय युवक ने कहा कि यह समस्या लगभग 6 महीनों से चल रही थी, और अधिकारियों को बार-बार चेतावनी देने के बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया गया।


दूषित पानी का स्रोत

नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में गंभीर लापरवाही सामने आई है। भागीरथपुरा को पानी सप्लाई करने वाली मुख्य पाइपलाइन एक सार्वजनिक शौचालय के नीचे से गुजरती है। मुख्य लाइन में लीक होने के कारण, सीवेज का पानी नर्मदा के पेयजल पाइपलाइन में मिल गया। इलाके में कई टूटी हुई पानी वितरण लाइनें भी पाई गईं, जिससे दूषित पानी घरों तक पहुँच गया।


क्लीनिकों में मरीजों की भीड़

इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र में संजीवनी क्लीनिकों में मरीजों की भारी भीड़ देखी जा रही है, क्योंकि सैकड़ों निवासी दूषित पानी से होने वाली बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बड़ी संख्या में लोग अभी भी पानी से संबंधित बीमारियों के लक्षणों के साथ क्लीनिकों और अस्पतालों में आ रहे हैं।


स्वास्थ्य अधिकारियों की तैयारी

स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि नए मामलों के कारण क्लीनिक अलर्ट पर हैं, और मरीजों की पहचान करने तथा बीमारी के फैलाव को रोकने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण जारी है।