इंदौर में गंदे पानी से मौतें: जानें कैसे दूषित पानी बनता है जानलेवा
गंदे पानी से हुई मौतों का मामला
मध्य प्रदेश के इंदौर में गंदा पानी पीने के कारण कई लोगों की जान चली गई है, जबकि 100 से अधिक लोग गंभीर बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती हैं। पिछले दो दिनों में लोग उल्टी और दस्त की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। यह जानना जरूरी है कि गंदा पानी कैसे जानलेवा बन सकता है और यह शरीर में बीमारियों का कारण कैसे बनता है।
दुनिया में गंदे पानी से होने वाली बीमारियां
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 10 लाख लोग दूषित पानी से संबंधित बीमारियों के कारण अपनी जान गंवाते हैं। संक्रमित पानी से डायरिया, पेचिश, हेपेटाइटिस ए और टाइफाइड जैसी बीमारियां फैलती हैं। इनमें से डायरिया और हेपेटाइटिस ए सबसे खतरनाक हैं, जो समय पर इलाज न होने पर जानलेवा साबित हो सकते हैं।
गंदे पानी से बीमारियों का कारण
सर गंगा राम अस्पताल के डॉ. उषस्त धीर के अनुसार, गंदे पानी में खतरनाक बैक्टीरिया होते हैं। जब कोई व्यक्ति ऐसा पानी पीता है, तो ये बैक्टीरिया पेट में जाकर आंतों पर हमला करते हैं, जिससे दस्त शुरू होते हैं। अत्यधिक दस्त से शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है, जिसे डिहाइड्रेशन कहा जाता है। यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।
डायरिया से मौत का खतरा
दिल्ली के लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के डॉ. एल. एच घोटेकर बताते हैं कि डायरिया दुनियाभर में मौतों का एक प्रमुख कारण है। गंदे पानी से होने वाली यह बीमारी उल्टी और दस्त का कारण बनती है। दस्त के कारण शरीर से सोडियम और पोटेशियम निकलने लगते हैं। यदि इस दौरान ओआरएस का सेवन नहीं किया जाता है, तो डिहाइड्रेशन की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे रक्तचाप गिरने लगता है।
हेपेटाइटिस ए का खतरा
हेपेटाइटिस ए वायरस गंदे पानी में पाया जाता है और यह लिवर पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यह वायरस पेट में जाकर लिवर की कोशिकाओं पर हमला करता है, जिससे लिवर फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। जिन लोगों को पहले से लिवर की समस्याएं हैं, उनके लिए यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
हेपेटाइटिस A के लक्षण
भूख में कमी, उल्टी, पेट में दर्द, तेज बुखार, और त्वचा का पीला पड़ना इसके सामान्य लक्षण हैं।
डायरिया (दस्त) के लक्षण
दिन में कई बार दस्त होना, पेट में तेज दर्द, उल्टी, और कमजोरी इसके प्रमुख लक्षण हैं।
पानी पीने के दौरान सावधानियां
हमेशा उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पीना चाहिए। अपनी पानी की टंकी को हर 6 महीने में साफ करें। बच्चों और बुजुर्गों को हमेशा उबला हुआ पानी दें। यदि पानी का रंग बदलता है, तो उसे न पिएं।
