आरबीआई के प्रयासों से रुपये की गिरावट पर नियंत्रण
रुपये की स्थिति और आरबीआई की भूमिका
यदि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपये को स्थिर करने के लिए कदम नहीं उठाए होते, तो डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 90 के स्तर को पार कर सकती थी। अगस्त से, केंद्रीय बैंक ने रुपये में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए सक्रियता दिखाई। इस दौरान, आरबीआई ने अगस्त में अरबों डॉलर का उपयोग किया। विशेष रूप से, जुलाई की तुलना में अगस्त में आरबीआई ने तीन गुना अधिक डॉलर बेचे। वर्तमान में, रुपये की स्थिति डॉलर के मुकाबले 88 के स्तर से नीचे है। रुपये की गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई ने अक्टूबर में भी कई उपाय किए हैं।
आरबीआई द्वारा जारी आंकड़े
आरबीआई ने अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए अगस्त में 7.7 अरब अमेरिकी डॉलर बेचे। केंद्रीय बैंक के नवीनतम बुलेटिन में यह जानकारी दी गई है कि अगस्त में उसकी शुद्ध डॉलर बिक्री 7.69 अरब अमेरिकी डॉलर रही, जो पिछले महीने की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है। उल्लेखनीय है कि जुलाई और अगस्त में आरबीआई ने अमेरिकी डॉलर नहीं खरीदे।
हाल के दिनों में रुपये में सुधार
विदेशी निवेशकों की खरीदारी और कच्चे तेल की कीमतों में कमी के कारण, सोमवार को रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नौ पैसे की बढ़त दर्ज की और 87.93 (अनंतिम) पर बंद हुआ। फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स के अनुसार, घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख ने रुपये को और मजबूती प्रदान की। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में रुपये ने 87.94 पर शुरुआत की और दिन के दौरान 87.74 से 87.94 के बीच कारोबार किया। अंत में, रुपये ने पिछले बंद भाव से नौ पैसे की बढ़त के साथ 87.93 (अनंतिम) पर बंद किया।