आरएसएस महासचिव ने संविधान से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की उठाई मांग

आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की मांग की है। इस पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपनी राय रखी, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत में समाजवाद की आवश्यकता नहीं है। इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने भाजपा और आरएसएस की आलोचना की। आपातकाल के दिनों की यादों को साझा करते हुए चौहान ने बताया कि उस समय संविधान का उल्लंघन हुआ था। जानें इस बहस के सभी पहलुओं के बारे में।
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आरएसएस महासचिव ने संविधान से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की उठाई मांग

संविधान की प्रस्तावना पर बहस का आह्वान

आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की आवश्यकता पर चर्चा करने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि ये शब्द आपातकाल (1975-1977) के दौरान जोड़े गए थे, जो बीआर अंबेडकर के मूल मसौदे से भिन्नता दर्शाते हैं। प्रस्तावना में भारत को 'संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य' के रूप में परिभाषित किया गया है। ये शब्द 1976 में 42वें संशोधन अधिनियम के तहत जोड़े गए थे, जो इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान लागू हुआ।


शिवराज सिंह चौहान का बयान

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस बहस में भाग लेते हुए कहा कि भारत में समाजवाद की कोई आवश्यकता नहीं है और धर्मनिरपेक्षता हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है। चौहान की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि आरएसएस ने पहले ही संविधान की प्रस्तावना में इन शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान किया था।


आपातकाल के 50 साल पूरे होने के अवसर पर वाराणसी में आयोजित एक कार्यक्रम में चौहान ने कहा, 'भारत में समाजवाद की जरूरत नहीं है... धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है और इस पर विचार होना चाहिए।'


राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी ने संविधान की प्रस्तावना से इन शब्दों को हटाने के सुझाव के लिए भाजपा और आरएसएस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह बयान यह दर्शाता है कि संघ-भाजपा लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते और संविधान को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।


कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रमुख अजय राय ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे बयान यह साबित करते हैं कि आरएसएस-भाजपा का संविधान में कोई विश्वास नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर हाल में संविधान की रक्षा करेगी।


आपातकाल की यादें

चौहान ने आपातकाल के दिनों को याद करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए आपातकाल लगाया था। उन्होंने कहा कि उस समय न तो बाहरी सुरक्षा का खतरा था और न ही आंतरिक सुरक्षा का।


उन्होंने बताया कि उस समय उनकी उम्र केवल 16 वर्ष थी और उन्हें भी डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स के तहत गिरफ्तार किया गया था। चौहान ने कहा कि आपातकाल के दौरान जनता पर अत्याचार किए गए और यह संविधान की हत्या थी।


कांग्रेस पर हमला

भाजपा नेता ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें संविधान की प्रति रखने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि तानाशाही कांग्रेस के डीएनए में है और जो लोग संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं, उन्हें जवाब देना होगा।


चौहान ने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अगर उन्हें लोकतंत्र सीखना है, तो उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखना चाहिए।