आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का परिवार के महत्व पर जोर, लिव-इन रिलेशनशिप पर उठाए सवाल
परिवार की संरचना का महत्व
मोहन भागवत
कोलकाता में आयोजित एक RSS कार्यक्रम में, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय समाज में परिवार की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग जिम्मेदारी लेने से कतराते हैं। भागवत ने स्पष्ट किया कि यह अवधारणा समाज के लिए सही नहीं है। परिवार और विवाह केवल शारीरिक संतोष का साधन नहीं हैं, बल्कि ये समाज की नींव हैं। परिवार वह स्थान है जहां व्यक्ति सामाजिक जीवन की शिक्षा प्राप्त करता है और मूल्यों का विकास होता है।
उन्होंने आगे कहा कि परिवार एक सांस्कृतिक और आर्थिक इकाई है, जो समाज को आकार देती है। परिवारों में ही हमारी आर्थिक गतिविधियाँ संचालित होती हैं, और यही हमारी सांस्कृतिक धरोहर का आधार है। भागवत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति संन्यास लेना चाहता है, तो वह शादी न करे, लेकिन परिवार की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता।
#WATCH | Kolkata, West Bengal: On the atrocities against Hindus in Bangladesh, RSS Chief Mohan Bhagwat says, “…They are a minority there, and the situation is quite difficult. Even though it’s difficult, for maximum protection, the Hindus there will have to stay united. And pic.twitter.com/ZJgn1EG3wk
— News Media December 21, 2025
बच्चों की संख्या पर आरएसएस प्रमुख की राय
परिवार की संरचना के संदर्भ में, भागवत ने कहा कि बच्चों की संख्या और विवाह की उम्र के लिए कोई निश्चित नियम नहीं है। हालांकि, शोध से पता चलता है कि तीन बच्चे होना आदर्श हो सकता है और विवाह की उम्र 19 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि बच्चों की संख्या का निर्णय परिवार के भीतर ही होना चाहिए। डॉक्टरों से बातचीत के आधार पर, उन्होंने कहा कि जल्दी विवाह और तीन बच्चों का होना माता-पिता और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, तीन बच्चों का होना व्यक्तियों को ईगो प्रबंधन में मदद करता है।
जनसंख्या प्रबंधन की आवश्यकता
जनसंख्या और जनसांख्यिकी पर चर्चा करते हुए, भागवत ने कहा कि भारतीय जनसंख्या का प्रभावी प्रबंधन नहीं किया गया है। उन्होंने इसे एक बोझ और संपत्ति दोनों बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें पर्यावरण, बुनियादी ढांचे, महिलाओं की स्थिति और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक नीति बनानी चाहिए, जो अगले 50 वर्षों के लिए उपयुक्त हो।
