आरएसएस की संविधान में बदलाव की मांग पर राजनीतिक हलचल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले द्वारा संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की मांग ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी नेताओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। राहुल गांधी ने इसे संविधान के प्रति आरएसएस की असहमति बताया, जबकि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इसे लोकतंत्र को बदलने के एजेंडे का हिस्सा कहा। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया।
Jun 27, 2025, 19:26 IST
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संविधान में बदलाव की मांग से उठी राजनीतिक लहर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की मांग की है, जिससे राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है। कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल के दौरान जोड़े गए इन शब्दों को हटाने के लिए होसबोले के आह्वान पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए कहा कि आरएसएस का असली चेहरा फिर से सामने आया है। उन्होंने लिखा कि संविधान उन्हें चुभता है क्योंकि यह समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। राहुल ने यह भी कहा कि आरएसएस-भाजपा को संविधान की नहीं, बल्कि मनुस्मृति की आवश्यकता है। उनका असली एजेंडा संविधान को कमजोर करना है, जिससे वे बहुजनों और गरीबों के अधिकारों को छीन सकें।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने हमेशा संविधान के मूल सिद्धांतों का विरोध किया है। अब उनके नेता फिर से इन शब्दों को हटाने की बात कर रहे हैं, जो कि भारत के लोकतंत्र को उनके वैचारिक दृष्टिकोण में बदलने के लंबे समय से चले आ रहे एजेंडे का हिस्सा है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि देश में अघोषित सेंसरशिप का माहौल है। पिछले 11 वर्षों में भारत ने एक प्रकार की अघोषित आपातकाल का अनुभव किया है।
वेणुगोपाल ने यह भी सवाल उठाया कि हमारी संवैधानिक संस्थाएँ कहाँ हैं? चुनाव आयोग की गतिविधियाँ क्या हैं? उन्होंने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी ने सभी संवैधानिक संस्थाओं पर हमला किया है। इसीलिए हम 'संविधान बचाओ यात्रा' निकाल रहे हैं, जो अब विधानसभा क्षेत्र स्तर पर आगे बढ़ रही है। भाजपा अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए इस तरह के नाटक कर रही है।