आरएसएस की शताब्दी: सीएम मोहन यादव का ब्लॉग और राष्ट्रीय सेवा का संकल्प

सीएम मोहन यादव ने आरएसएस की शताब्दी पर एक ब्लॉग में संगठन की स्थापना और इसके योगदान को उजागर किया है। उन्होंने बताया कि कैसे आरएसएस ने विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए राष्ट्र सेवा का संकल्प लिया। इस ब्लॉग में उज्जैन के योगदान और संघ के प्रचारकों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया है। यह लेख आरएसएस के इतिहास और इसके महत्व को समझने में मदद करेगा।
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आरएसएस की शताब्दी: सीएम मोहन यादव का ब्लॉग और राष्ट्रीय सेवा का संकल्प

आरएसएस के 100 वर्ष: सीएम मोहन यादव का दृष्टिकोण

आरएसएस की शताब्दी: सीएम मोहन यादव का ब्लॉग और राष्ट्रीय सेवा का संकल्प

आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक ब्लॉग लिखा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक ब्लॉग में लिखा है कि संघ ने व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के निर्माण का लक्ष्य लेकर अपनी यात्रा शुरू की थी। यह संगठन त्याग, तपस्या और अनुशासन का प्रतीक है। आरएसएस ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए सेवा और समर्पण के मार्ग पर आगे बढ़ने का संकल्प लिया है।

उन्होंने उल्लेख किया कि संघ की स्थापना उस समय हुई जब देश में असाधारण परिस्थितियाँ थीं। अंग्रेजी राज के अलावा, कई शक्तियाँ भारत के पूर्ण रूपांतरण की कोशिश कर रही थीं। मालाबार, चटगांव, करांची और ढ़ाका में हुई हिंसा ने इस संकट को स्पष्ट किया। समाज में दमन और आंतरिक विसंगतियों के बीच, आत्मगौरव की भावना भी खो रही थी।

संघ की शताब्दी यात्रा की विशेषताएँ

सीएम यादव ने बताया कि डॉ. हेडगेवार जी, जो स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी थे, ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हुए सांस्कृतिक जागरण का संकल्प लिया। उन्होंने महसूस किया कि जब तक हर भारतीय के दिल में स्वत्व का भाव नहीं जागेगा, तब तक भारत अपने गौरव को पुनः प्राप्त नहीं कर सकता। विजयादशमी की तिथि को संघ की स्थापना का दिन चुना गया।

संघ की शताब्दी यात्रा की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं: पहली, संघ की ध्येय निष्ठा, जो इसे अन्य संगठनों से अलग बनाती है, और दूसरी, संघ पर होने वाले हमले। संघ पर कई बार प्रतिबंध लगे, लेकिन यह कभी रुका नहीं।

उज्जैन का योगदान

मध्यप्रदेश की उज्जैन नगरी ने संघ कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहाँ संघ कार्य 1930 से 1940 के दशक में प्रारंभ हुआ। उज्जैन के स्वयंसेवकों ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में योगदान दिया।

संघ के स्वयंसेवकों ने स्वाधीनता आंदोलन, विभाजन की पीड़ा में शरणार्थियों की सेवा, और युद्धों में राष्ट्र रक्षा के लिए समर्पण के साथ कार्य किया है। विजयादशमी का संदेश धर्म की रक्षा और मानवीय मूल्यों के पुनर्जागरण का है।

प्रचारकों की भूमिका

आरएसएस की शताब्दी यात्रा में कई प्रचारक सामने आए हैं, जिन्होंने अपने नाम और अस्तित्व की चिंता किए बिना राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया। संघ ने समाज और राष्ट्र के जीवन के विभिन्न आयामों को छुआ है।

डॉ. मोहन भागवत जी ने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए पंच परिवर्तन का आह्वान किया है, जिसमें स्व का बोध, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण, सामाजिक समरसता और कुटुम्ब प्रबोधन शामिल हैं।

विशेष डाक टिकट का विमोचन

सीएम यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ की शताब्दी यात्रा पर विशेष डाक टिकट और स्मृति सिक्के जारी किए हैं। यह समर्पित यात्रा हमें राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करती है।

आरएसएस ने 100 वर्षों से बिना थके राष्ट्र सेवा के कार्य में संलग्न है। यह यात्रा हमें प्रेरित करती है कि हम अपने प्रदेश और राष्ट्र को विश्व पटल पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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