आरएसएस का मणिपुर में जातीय संघर्ष समाधान के लिए संवाद का प्रयास

मणिपुर में जातीय संघर्ष का समाधान
दिल्ली में मणिपुर के मैतेई और कुकी समुदायों के बीच केंद्र सरकार की बातचीत के संदर्भ में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सोमवार को कहा कि वह दोनों समूहों को एक साथ लाने के प्रयास में है। आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि संघ ने मैतेई और कुकी दोनों के साथ संवाद स्थापित किया है। उन्होंने कहा, "जब किसी क्षेत्र में स्थिति बिगड़ती है, तो उसे ठीक होने में समय लगता है। लेकिन पिछले साल की तुलना में मणिपुर में थोड़ी शांति है। दोनों पक्षों के बीच संवाद हो रहा है, जिससे हमें विश्वास है कि समाधान निकलेगा।"
तनाव कम करने की दिशा में प्रयास
आरएसएस ने यह भी कहा कि उसके स्वयंसेवक मणिपुर में जातीय हिंसा को कम करने के लिए मेइती और कुकी समुदायों के बीच बातचीत को बढ़ावा दे रहे हैं। आंबेकर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली में प्रांत प्रचारकों की बैठक में मणिपुर की स्थिति और वहां हो रहे सकारात्मक बदलावों पर चर्चा की गई।
बैठक में देशभर से प्रतिनिधियों की भागीदारी
आंबेकर ने बताया कि बैठक में देशभर से लोग शामिल हुए और उन्होंने साझा किया कि आरएसएस के स्वयंसेवक मणिपुर में शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा, "वे मेइती और कुकी समुदायों के बीच संवाद को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि एक सकारात्मक माहौल बने।"
स्थिति में सुधार की उम्मीद
आंबेकर ने कहा कि मणिपुर में पिछले साल की तुलना में स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, "स्थिति को सामान्य होने में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।" विपक्ष के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि जब हालात बिगड़ते हैं, तो सुधार में समय लगता है, लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में शांति लौटने लगी है।
संघ का संवाद और सकारात्मक बदलाव
आंबेकर ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए दोनों पक्षों से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "इससे जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं।" मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं।
केंद्र का राष्ट्रपति शासन
केंद्र ने 13 फरवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया था और राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया था, जिसका कार्यकाल 2027 तक है। कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे की संघ पर प्रतिबंध लगाने की टिप्पणी पर आंबेकर ने कहा कि संघ पर पहले भी प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन इसे हटाना पड़ा क्योंकि यह कानून के अनुसार वैध नहीं था।