आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर शिवराज सिंह चौहान का बयान

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे वह 16 वर्ष की उम्र में जेल गए और भोपाल में गोलीबारी के दौरान प्रदर्शन में शामिल हुए। चौहान ने उस समय की कांग्रेस सरकार की नीतियों की आलोचना की और अपने संघर्ष के बारे में बताया। यह बयान उस समय की राजनीतिक स्थिति को उजागर करता है और चौहान के व्यक्तिगत अनुभवों को दर्शाता है।
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आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर शिवराज सिंह चौहान का बयान

आपातकाल के अनुभव साझा करते हुए चौहान

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि उस समय उनकी उम्र केवल 16 वर्ष थी और उन्हें जेल में डाल दिया गया था।


मध्य प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके चौहान ने कहा कि आपातकाल के दौरान भोपाल में गोलीबारी हुई थी, जिसमें कई लोग मारे गए और हजारों को गिरफ्तार किया गया।


चौहान ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'संविधान का उल्लंघन किया गया। पूरा देश एक विशाल जेल में तब्दील हो गया। यह सब इंदिरा गांधी (प्रधानमंत्री) की स्थिति को बनाए रखने के लिए किया गया।'


उन्होंने बताया कि 1975 में जब आपातकाल लागू हुआ, तब वह एक किशोर थे और स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे। उस समय वह भोपाल में एक किराए के मकान में रहते थे।


चौहान ने कहा, 'भोपाल में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था। उस समय की कांग्रेस सरकार ने गोलियां चलवाईं, जिससे आठ लोगों की जान गई। इसके बाद मैं जेपी (जयप्रकाश) आंदोलन में शामिल हो गया।'


उन्होंने बताया कि आपातकाल के खिलाफ पर्चे बांटने में उनकी सक्रिय भागीदारी थी, जिसके चलते पुलिस उनके ठिकाने तक पहुंच गई।


चौहान ने कहा, 'पुलिस ने रात 11 बजे मेरे दरवाजे पर दस्तक दी। उस समय मैं पढ़ाई कर रहा था। उन्होंने पूछा कि क्या मैं शिवराज सिंह चौहान हूं, मैंने हां में उत्तर दिया।'


चौहान ने बताया कि पुलिस ने उन्हें थप्पड़ मारे, घसीटा और हिरासत में लेकर पीटा। उन्होंने कहा कि उन पर ऐसे लोगों के नाम बताने का दबाव था जिन्होंने उन्हें पर्चे दिए थे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया।