आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ: अमित शाह ने कांग्रेस पर साधा निशाना

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि आपातकाल लोकतंत्र के लिए खतरा था और इसे कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता का परिणाम बताया। शाह ने इस दिन को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने की बात की, ताकि नई पीढ़ी को उस समय की पीड़ा का ज्ञान हो सके। उनका कहना था कि भारत ने तानाशाही के आगे कभी झुकने का साहस नहीं दिखाया।
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आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ: अमित शाह ने कांग्रेस पर साधा निशाना

आपातकाल का काला अध्याय

भारत में आपातकाल की अवधि 1975 से 1977 तक रही, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आंतरिक और बाहरी खतरों का हवाला देते हुए आपातकाल की घोषणा की थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि 50 साल पहले लागू किया गया आपातकाल लोकतंत्र की नींव को हिला गया था, लेकिन भारत ने उस काले अध्याय से उबरने में सफलता पाई है, क्योंकि देश तानाशाही के आगे कभी नहीं झुका। शाह ने विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस पार्टी पर संविधान की पवित्रता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी के नेताओं को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आपातकाल के समय वे संविधान के रक्षक थे या भक्षक।


कांग्रेस की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि आपातकाल कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं थी, बल्कि यह कांग्रेस और एक व्यक्ति की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का प्रतीक था। उन्होंने यह टिप्पणी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संदर्भ में की। शाह ने आपातकाल के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि जब सत्ता तानाशाही बन जाती है, तो जनता उसे उखाड़ फेंकने की शक्ति रखती है।


संविधान हत्या दिवस

गृह मंत्री ने कहा कि आपातकाल कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’ था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, ताकि नई पीढ़ी को उस समय की पीड़ा और यातना का ज्ञान हो सके। शाह ने ‘एक्स’ पर लिखा, “आपातकाल कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं, बल्कि कांग्रेस और एक व्यक्ति की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का परिचायक था।” उन्होंने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता को कुचला गया, न्यायपालिका को बाधित किया गया और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया।


तानाशाही के खिलाफ संघर्ष

शाह ने कहा, “देशवासियों ने ‘सिंहासन खाली करो’ का नारा दिया और तानाशाह कांग्रेस को उखाड़ फेंका। इस संघर्ष में बलिदान देने वाले सभी वीरों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।” पिछले साल शाह ने घोषणा की थी कि मोदी सरकार 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाएगी, ताकि इस अवधि के दौरान अमानवीय पीड़ा सहने वालों के योगदान को याद किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा था कि संविधान हत्या दिवस मनाने से हर भारतीय में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा की ज्वाला प्रज्वलित रखने में मदद मिलेगी, जिससे कांग्रेस जैसी तानाशाही ताकतों को भयावहताओं को दोहराने से रोका जा सकेगा।