आपदा प्रबंधन पर प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन, जागरूकता और नेतृत्व को बढ़ावा

नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का उद्देश्य आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूकता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से 80 शिक्षार्थियों ने भाग लिया, जिसमें आपदा प्रबंधन की सामाजिक अवधारणाओं और सुरक्षा उपायों पर चर्चा की गई। प्रमुख वक्ताओं ने समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया और तकनीकी ऐप्स के उपयोग की सिफारिश की।
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आपदा प्रबंधन पर प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन, जागरूकता और नेतृत्व को बढ़ावा

आपदा सन्नद्ध समाज निर्माण पर प्रशिक्षण कार्यक्रम

नई दिल्ली। राष्ट्रीय सेवा भारती और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विशेष आपदा शोध केंद्र द्वारा “आपदा सन्नद्ध समाज निर्माण” विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कन्वेंशन सेंटर में शुरू हुआ। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूकता, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व कौशल को बढ़ावा देना है।




कार्यक्रम का उद्घाटन लेफ्टिनेंट जनरल (से. नि.) सैयद अता हसनैन, जो राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य हैं, ने दीप प्रज्ज्वलन और प्रेरणादायक भाषण के साथ किया। उन्होंने कहा, “समाज के हर सदस्य को आपदा के समय सजग और तैयार रहना चाहिए, और राष्ट्रीय सेवा भारती जैसी संस्थाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।”




मुख्य अतिथि श्री संजीव जिंदल, जो गृह मंत्रालय (आपदा प्रबंधन) में अतिरिक्त सचिव हैं, ने सरकार की आपदा तैयारी और नागरिक भागीदारी की रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, और ऐसे प्रशिक्षण शिविर इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। देश की IMD जैसी संस्थाएं आपदा की समय पर जानकारी देने में सक्षम हैं। उन्होंने सभी से सचेत और दामिनी ऐप को इंस्टॉल करने का आग्रह किया, जिससे स्थानीय स्तर पर बिजली गिरने, भारी बारिश और चक्रवात की पूर्व जानकारी मिल सके।”




कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रमेश अग्रवाल, अध्यक्ष, सेवा भारती दिल्ली ने की। उन्होंने सेवा भारती की कार्यप्रणाली और निःस्वार्थ सेवा की भावना को उजागर किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सेवा भारती एक प्रमुख समन्वय संस्था है, जो देशभर में 800 से अधिक सेवा संगठनों के माध्यम से कार्य कर रही है। वर्तमान में इसके अंतर्गत 44,121 सेवा प्रकल्प संचालित हो रहे हैं। यह संगठन न केवल नियमित सेवाकार्य करता है, बल्कि आपदा के समय त्वरित राहत और पुनर्वास कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाता है।




इस अवसर पर ‘राष्ट्रीय सेवा साधना: आपदा प्रबंधन’ विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया, जिसमें देशभर में हो रहे आपदा प्रबंधन से जुड़े सेवाकार्यों, अनुभवों और नवीन प्रयोगों को साझा किया गया है।




प्रशिक्षण की प्रमुख झलकियाँ:


इस प्रशिक्षण वर्ग में विभिन्न राज्यों से आए 80 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण की रूपरेखा में शामिल थे:


- आपदा की सामाजिक अवधारणा और स्थानीय संवेदनशीलता की पहचान


- मानव व्यवहार, तनाव और सदमा प्रबंधन


- दंगे, भगदड़ और आकस्मिक आपदाओं के समय सुरक्षा उपाय


- आपदा प्रबंधन टोलियों का गठन और नेतृत्व प्रशिक्षण


- व्यवहारिक अभ्यास और आपदा स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया




राष्ट्रीय सेवा भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री सुधीर कुमार ने कहा कि “आपदा प्रबंधन प्राचीन काल से भारतीय चेतना का विषय रहा है। चाणक्य ने अर्थशास्त्र में आपदा को 8 वर्गों में विभाजित किया है और प्रत्येक वर्ग के लिए राजा (प्रशासन) और प्रजा के कर्तव्यों और सभी तरह की तैयारियों का वर्णन किया है।”




संपर्क जानकारी


RSVP: प्रभाकर पाठक — 9818070440