आध्यात्मिक गुरु स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती गिरफ्तार, यौन उत्पीड़न और धोखाधड़ी के आरोप

आध्यात्मिक गुरु स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को यौन उत्पीड़न और धोखाधड़ी के आरोपों में आगरा से गिरफ्तार किया गया है। उन पर 17 से अधिक छात्राओं द्वारा गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया और लुक-आउट नोटिस जारी किया गया। दिल्ली की अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और आरोपों की गहराई।
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आध्यात्मिक गुरु स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती गिरफ्तार, यौन उत्पीड़न और धोखाधड़ी के आरोप

गिरफ्तारी का विवरण

काफी समय तक पुलिस की नजरों से बचने के बाद, आध्यात्मिक गुरु और एक प्रबंधन संस्थान के पूर्व निदेशक स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को रविवार तड़के 3:30 बजे आगरा के एक होटल से गिरफ्तार किया गया। उन पर यौन उत्पीड़न और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप हैं।


छात्राओं के आरोप

दिल्ली के श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट-रिसर्च के निदेशक रहे स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती, जिन्हें पार्थसारथी के नाम से भी जाना जाता है, तब से फरार थे जब संस्थान की 17 से अधिक छात्राओं ने उन पर गंभीर आरोप लगाए। ये छात्राएं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) छात्रवृत्ति के तहत पढ़ाई कर रही थीं। आरोपों में गाली-गलौज, अवांछित शारीरिक संपर्क और अश्लील संदेश भेजने का मामला शामिल है।


पद से हटाए जाने और लुक-आउट नोटिस

इन आरोपों के बाद, श्री श्रृंगेरी मठ प्रशासन ने उन्हें निदेशक पद से हटा दिया। इसके साथ ही, पुलिस ने उन्हें देश छोड़ने से रोकने के लिए लुक-आउट नोटिस भी जारी किया।


गिरफ्तारी की जानकारी

अधिकारियों के अनुसार, 62 वर्षीय स्वामी चैतन्यानंद को एक गुप्त सूचना के आधार पर आगरा से पकड़ा गया। पुलिस की एफआईआर में कहा गया है कि उन्होंने कथित तौर पर छात्राओं को अपने कमरे में आने के लिए मजबूर किया और उन्हें गलत संदेश भेजे। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखी।


अग्रिम जमानत खारिज

दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को पार्थसारथी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। यह मामला श्रृंगेरी मठ प्रशासन की शिकायत पर आधारित है।


धोखाधड़ी के आरोप

श्रृंगेरी मठ और पुलिस ने अदालत को बताया कि पार्थसारथी ने पैसे गबन करने के बाद ट्रस्ट का पैसा लेकर भागने की कोशिश की। उसने बैंक से लगभग 55 लाख रुपये निकाले और एक नकली पासपोर्ट भी बनवाया।


धोखाधड़ी की जांच

दिसंबर 2024 में हुई प्रारंभिक जांच में पता चला कि उसने पीठम से जुड़ी संपत्तियों और धन में धोखाधड़ी की है। 2010 में, उसने धोखाधड़ी से एक नया ट्रस्ट बनाया, जबकि पहले से मान्यता प्राप्त ट्रस्ट का नाम अलग था।


आर्थिक गबन

उस पर आरोप है कि उसने पीठम की लगभग 20 करोड़ रुपये की संपत्ति का गबन किया, क्योंकि सारी कमाई नए ट्रस्ट के खाते में जमा कर दी गई थी।