आधुनिक युद्धकला में बदलाव: जनरल अनिल चौहान का दृष्टिकोण
जनरल अनिल चौहान ने आधुनिक युद्धकला में हो रहे बदलावों पर प्रकाश डाला है, जिसमें बिना औपचारिक युद्ध की घोषणा के बल प्रयोग और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई शामिल है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया, जो राजनीतिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए त्वरित और सटीक कार्रवाई का प्रतीक है। चौहान ने भविष्य की सैन्य रणनीतियों पर भी चर्चा की, जिसमें अधिक प्रभावी पेलोड और सटीक निशाना लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
Aug 5, 2025, 15:46 IST
|

आधुनिक युद्ध की नई परिभाषा
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बताया कि आधुनिक युद्धकला तेजी से बदल रही है, जिसमें देश बिना औपचारिक युद्ध की घोषणा किए राजनीतिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए बल का प्रयोग कर रहे हैं। एक सुरक्षा मंच पर अपने विचार साझा करते हुए, चौहान ने युद्ध और शांति के बीच धुंधली सीमाओं को उजागर किया और भारत के हालिया ऑपरेशन सिंदूर को इस बदलाव का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि युद्ध का उद्देश्य अक्सर राजनीतिक लक्ष्यों की पूर्ति होता है। आजकल, हम ऑपरेशन सिंदूर जैसे छोटे और सटीक युद्ध देख रहे हैं, जहां राजनीतिक लक्ष्य तीव्र और लक्षित कार्रवाई के माध्यम से हासिल किए जाते हैं।
आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
सीडीएस ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना यह स्पष्ट किया कि भौगोलिक सीमाएँ अब आतंकवादी गतिविधियों की रक्षा नहीं कर सकतीं। उन्होंने चेतावनी दी कि आतंकवादी अब कहीं भी छिप नहीं सकते, यहां तक कि पाकिस्तान की सीमा के भीतर भी। भारतीय सेना द्वारा हाल ही में किया गया ऑपरेशन सिंदूर एक तेज़ और प्रभावी हमला था। चौहान ने बताया कि इस मिशन का उद्देश्य किसी क्षेत्र पर कब्ज़ा करना नहीं था, बल्कि इसे त्वरित और निर्णायक प्रहार करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। यह पारंपरिक ज़मीनी मुठभेड़ के बिना भी एक बड़ा प्रभाव डालने में सफल रहा।
भविष्य की सैन्य रणनीतियाँ
चौहान ने कहा कि इस प्रकार के आधुनिक ऑपरेशन पारंपरिक युद्ध की परिभाषा को बदल रहे हैं, जहां बड़े बमों या लंबी लड़ाइयों की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने भविष्य की तैयारियों पर जोर देते हुए कहा, "हमें अब केवल 500 किलो के बमों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। अब समय है अधिक भारी, प्रभावी पेलोड और सटीक निशाना लगाने का।" सीडीएस ने सैन्य सोच को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख रुझानों पर भी प्रकाश डाला: पहला, औपचारिक युद्ध घोषणाओं के बिना बल प्रयोग में वृद्धि, और दूसरा, युद्ध और शांति के बीच का घटता अंतर। यह आज के सामरिक परिवेश की वास्तविकता है।