आदिवासी संगठनों का सारंडा सेंचुरी मामले में प्रदर्शन और आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान

आदिवासी संगठनों ने सारंडा सेंचुरी मामले में महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा और 25 अक्टूबर को कोल्हान में आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है, यह कहते हुए कि उनकी लड़ाई आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए है। जानें इस प्रदर्शन के पीछे की वजह और आगे की रणनीति के बारे में।
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आदिवासी संगठनों का सारंडा सेंचुरी मामले में प्रदर्शन और आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान

सारंडा सेंचुरी पर आदिवासी संगठनों का विरोध

आदिवासी संगठनों का सारंडा सेंचुरी मामले में प्रदर्शन और आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान

सारंडा सेंचुरी को लेकर आदिवासियों का प्रदर्शन


आदिवासी संगठनों ने सारंडा सेंचुरी के मुद्दे पर महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें पुनर्विचार की मांग की गई है। इसके साथ ही, उन्होंने 25 अक्टूबर को कोल्हान में आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान किया है।


आदिवासियों का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उच्चतम न्यायालय में जिस मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहे हैं, उसी के समर्थन में वे कोल्हान-सारंडा क्षेत्र की सड़कों पर उतरे हैं। उनका यह भी कहना है कि सारंडा जंगल क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होने दी जाएगी।


मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी सारंडा क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों की चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि विरासत में मिले विवादों को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। उनकी मुख्य चिंता सारंडा क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों के भविष्य और स्वास्थ्य को लेकर है।


उन्होंने यह भी कहा कि उनकी लड़ाई इस बात के लिए है कि जो लोग जंगल की रक्षा कर रहे हैं, उन्हें किसी नियम या कानून से परेशान नहीं किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि कब तक आदिवासियों को नियमों में बांधकर परेशान किया जाएगा।


मुख्यमंत्री ने कहा कि वे वहां के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। खनिज संसाधनों को कुछ समय के लिए नजरअंदाज किया जा सकता है, लेकिन लोगों के अधिकारों से कोई समझौता नहीं होगा।