आदित्य ठाकरे ने एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच पर उठाए सवाल
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने हाल ही में पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दे अनुत्तरित हैं और भाजपा से स्पष्ट जवाब की मांग की। ठाकरे ने यह भी बताया कि एशिया कप हॉकी के आयोजन के साथ भाजपा की रणनीति क्या है। क्या भारतीय टीम को पाकिस्तान के खिलाफ खेलना चाहिए? इस पर चर्चा करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया पर भी असंतोष व्यक्त किया।
Jul 4, 2025, 16:06 IST
|

आदित्य ठाकरे का बयान
शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे ने शुक्रवार को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के संदर्भ में एशिया कप टूर्नामेंट में क्रिकेट और हॉकी मैच खेलने के निर्णय पर सवाल उठाए। विधान भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं। ठाकरे ने पूछा, "क्या पाकिस्तान के साथ मैच खेलना उचित है, जबकि वह हमारे खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है? क्या भारतीय टीम को एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेलना चाहिए? हम भाजपा और केंद्र सरकार से स्पष्ट उत्तर की अपेक्षा करते हैं।
भाजपा की रणनीति पर सवाल
ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार एशिया कप हॉकी के आयोजन के साथ स्थिति का परीक्षण कर रही है, जो अगस्त के अंत में शुरू होगा। भारत इस टूर्नामेंट का मेज़बान है और मैच बिहार में आयोजित किए जाएंगे। शिवसेना (यूबीटी) के विधायक ने कहा कि यह एशिया कप के दौरान यूएई में संभावित क्रिकेट मैच के लिए एक मंच तैयार कर रहा है। उन्होंने यह भी पूछा, "यदि बीसीसीआई भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान के खिलाफ खेलने की अनुमति देता है, तो क्या भाजपा इसे राष्ट्र-विरोधी करार देगी, जैसा कि वह अन्य मामलों में करती है?"
एशिया कप की तारीखें
एशिया कप टी20 सितंबर में आयोजित होने की संभावना है, जबकि एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट 27 अगस्त को बिहार में शुरू होगा। ठाकरे ने पहलगाम आतंकी हमले पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी असंतोष व्यक्त किया। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ने कहा कि पहले पुलिस ने आरोपियों का एक स्केच जारी किया, जिसे बाद में एनआईए ने गलत बताया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, सरकारी प्रतिनिधिमंडल कई देशों में भेजे गए, जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं। क्या इसी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा की जाती है?