आठवें वेतन आयोग का गठन: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नई उम्मीदें
आठवें वेतन आयोग का गठन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिल गई, जिससे लाखों केंद्रीय कर्मचारियों को राहत मिली है। यह आयोग 50 लाख सक्रिय कर्मचारियों और लगभग 69 लाख पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों, पेंशन और अन्य लाभों की विस्तृत समीक्षा करेगा।
आयोग अपनी सिफारिशें 18 महीनों के भीतर पेश करेगा।
वेतन आयोग का इतिहास
हर 10 साल में वेतन आयोग का गठन किया जाता है। पिछला सातवां वेतन आयोग 2014 में स्थापित हुआ था, और इसकी सिफारिशें 2016 से लागू हो गई थीं। अब यह देखना महत्वपूर्ण है कि आठवें वेतन आयोग से किसे लाभ होगा।
लाभार्थियों की सूची
वेतन आयोग का लाभ मुख्य रूप से उन कर्मचारियों को मिलेगा जिनकी सैलरी केंद्र सरकार की संचित निधि से आती है। इसमें केंद्रीय सिविल सेवा के सभी अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।
जो लाभ नहीं पाएंगे
हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र की उपक्रमों (PSU), स्वायत्त निकायों और ग्रामीण डाक सेवकों को इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के जजों का वेतन और भत्ते अलग नियमों के तहत निर्धारित होते हैं।
सैलरी वृद्धि की प्रक्रिया
आयोग सबसे पहले पिछले वर्ष की महंगाई दर की जांच करेगा और यह देखेगा कि इसका कर्मचारियों की जीवनशैली पर क्या प्रभाव पड़ा है। महंगाई के आधार पर सैलरी बढ़ाने की सिफारिश की जाएगी। यदि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है, तो वेतन वृद्धि अधिक होगी, और यदि राजकोष कमजोर है, तो वृद्धि कम होगी। आयोग कर्मचारियों की उत्पादकता और दक्षता का भी मूल्यांकन करेगा और निजी क्षेत्र की सैलरी का अध्ययन करेगा ताकि सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच का अंतर कम किया जा सके.
