आजम खान की रिहाई के बाद यूपी की राजनीति में हलचल, मायावती ने किया बड़ा बयान

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जेल से रिहाई के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। मायावती ने लखनऊ में एक रैली के दौरान सपा पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने दलितों के प्रति सपा के दोहरे चरित्र की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सपा सत्ता में रहते हुए दलितों को भूल जाती है और चुनाव के समय ही उन्हें याद करती है। जानें इस रैली में मायावती ने और क्या कहा और आजम खान की संभावित राजनीतिक दिशा क्या हो सकती है।
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आजम खान की रिहाई के बाद यूपी की राजनीति में हलचल, मायावती ने किया बड़ा बयान

आजम खान की रिहाई और मायावती का बयान

समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता आजम खान की जेल से रिहाई के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति में काफी हलचल मच गई है। इस बीच, यह चर्चा उठी है कि आजम खान बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो सकते हैं। इस संदर्भ में, मायावती ने लखनऊ में आयोजित एक बड़ी रैली में अपने विचार साझा किए। उन्होंने बिना आजम खान का नाम लिए कहा कि पिछले महीने कुछ झूठी खबरें फैली थीं, जिनमें यह दावा किया गया था कि अन्य दलों के नेता बसपा में शामिल हो रहे हैं और उन्होंने उनसे दिल्ली और लखनऊ में मुलाकात की थी। मायावती ने स्पष्ट किया, "मैंने किसी से मुलाकात नहीं की है। मैं गुप्त रूप से किसी से नहीं मिलती।"


बसपा प्रमुख का सपा पर हमला

मायावती ने समाजवादी पार्टी को दोमुंहा बताते हुए उस पर दलित नेताओं को अपने साथ लाने का आरोप लगाया। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि पर आयोजित रैली में उन्होंने कहा कि सपा सत्ता में रहते हुए दलितों को भूल जाती है और केवल चुनाव के समय उन्हें याद करती है। उन्होंने कहा कि सत्ता में रहते हुए सपा को न तो पीडीए याद आता है और न ही इससे जुड़े संत और महापुरुष। लेकिन सत्ता से बाहर होते ही उन्हें अचानक याद आ जाते हैं। उन्होंने लोगों को ऐसे दोगले नेताओं से सावधान रहने की सलाह दी। लखनऊ में आयोजित इस रैली में भारी भीड़ जुटी थी।


सपा पर आरोप और कांशीराम का सम्मान

मायावती ने कहा कि सपा ने दलित स्मारकों और पार्कों की उपेक्षा की है, जिससे वे जर्जर हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वह सच में कांशीराम जी का सम्मान करते, तो अलीगढ़ मंडल के कांशीराम नगर का नाम बदलकर कासगंज नहीं करते। उन्होंने बताया कि बसपा ने विश्वविद्यालयों और संस्थानों का नाम कांशीराम जी और अन्य महापुरुषों के नाम पर रखा और कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं, लेकिन सपा सरकार ने उन्हें बंद कर दिया। यह सब कुछ दोहरे चरित्र का उदाहरण है।