आचार्य चाणक्य की नीतियाँ: स्नान के महत्व को समझें

आचार्य चाणक्य की शिक्षाएँ
आचार्य चाणक्य: कभी-कभी बड़े लोग हमें ऐसी बातें बताते हैं, जिन्हें हम आसानी से मान लेते हैं। लेकिन हम यह नहीं समझ पाते कि इसके पीछे क्या तर्क है। उदाहरण के लिए, जब आपकी माँ बाल कटवाने के बाद आपको स्नान करने के लिए कहती हैं, तो इसके पीछे का कारण क्या है? आचार्य चाणक्य ने इस पर प्रकाश डाला है।
चाणक्य ने अपनी नीतियों में यह भी बताया है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में स्नान करना क्यों आवश्यक है।
तेल स्नान, चिता का धुआँ, संभोग, और हजामत बनाना जैसे मामलों में स्नान करना चाहिए।
अंतिम संस्कार के बाद
आचार्य चाणक्य के अनुसार, शवयात्रा से लौटने के तुरंत बाद स्नान करना चाहिए। कब्रिस्तान में कई प्रकार के कीटाणु होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, दाह संस्कार के बाद स्नान करना अनिवार्य है।
मालिश के बाद
जब भी आप मालिश करवाते हैं, तो स्नान करना आवश्यक है। यह आपके शरीर से सारी गंदगी को दूर कर देता है। बाहर जाने से पहले स्नान करना भी जरूरी है।
प्रेम प्रसंग के बाद
संभोग के बाद, चाणक्य के अनुसार, दोनों को स्नान करना चाहिए। प्रेम संबंध के बाद शरीर की पवित्रता कम हो जाती है, इसलिए स्नान करना आवश्यक है।
बाल कटवाने के बाद
बाल कटवाने के तुरंत बाद स्नान करना चाहिए, क्योंकि बालों के छोटे टुकड़े शरीर पर चिपक जाते हैं। इसलिए, स्नान करना जरूरी है।